मल्लिका दूबे
गोरखपुर। यूपी के लोकसभा चुनाव में 2014 में चले मोदी मैजिक को इस बार धुंआ- धुंआ करने के मकसद से एक मंच पर आयी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी एक- एक सीट पर समीकरणों की परख करने में जुटी हैं। दोनों के बीच चुनावी गठबंधन में सीटों का बंटवारा पहले से हो चुका है। लेकिन नए सियासी घटनाक्रम में सपा- बसपा पूर्वी उत्तर प्रदेश की एक संसदीय सीट इंटरचेंज करने की तैयारी में हैं।
मिल रही जानकारियो के मुताबिक यह संसदीय सीट है महराजगंज की। टिकट वितरण फार्मूले में सपा के कोटे में रही यह सीट अब बसपा के खाते में जाने की चर्चा है। बसपा
के खाते में यह सीट आयी तो विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर पांडेय यहां प्रत्याशी होंगे । इसकी जगह सपा बसपा से जौनपुर की सीट ले सकती है।
मुलायम सिंह यादव के मैनपुरी से चुनाव लड़ने के कारण मुलायम के नाती और लालू के दामाद तेज प्रताप यादव के लिए कोई सीट नहीं बची थी। ऐसे में सपा जौनपुर से तेज प्रताप यादव को उतारना चाहती है। जौनपुर में यादव मतदाता बड़ी संख्या में हैं और अपवादों को छोड़ दें तो विधानसभा चुनावो में भी जौनपुर का इलाका सपा को कई विधायक देता रहा है।
महराजगंज में सीट इंटरचेंज क्यों
चुनावी लड़ाई के तहत गठबंधन में सपा के खाते में आयी महराजगंज संसदीय सीट निषाद पार्टी को देने वाली थी। हालांकि यह तय नहीं था कि निषाद पार्टी यहां खुद के सिम्बल पर लड़ेगी या सपा के। इस बीच गठबंधन में अपनी मनमाफिक स्थिति न देख निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद ने अपनी चुनावी नैया भाजपा के घाट पर लगा दी।
निषाद पार्टी के गठबंधन से छिटकने के बाद सपा खेमे से महराजगंज के पूर्व सांसद कुंवर अखिलेश सिंह का नाम चर्चा में आया। लेकिन इसी दौरान कांग्रेस ने पूर्व सांसद हर्षवर्धन सिंह की पुत्री, एक टीवी चैनल की पत्रकार सुप्रिया श्रीनेत को प्रत्याशी घोषित कर दिया। कांग्रेस से क्षत्रिय बिरादरी का प्रत्याशी आने के बाद सपा के लिए अखिलेश सिंह के नाम पर फैसला करना कठिन हो गया।
इस बीच निषाद पार्टी के कन्नी काटने से यहां बसपा खेमे से तैयारी कर रहे विधान परिषद के पूर्व सभापति गणेश शंकर तैयारी भी टिकट के लिए फास्ट हो गये। बताया जा रहा है कि बसपा से गणेश शंकर पांडेय का नाम सामने आने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव प्रारंभिक दौर में महराजगंज की सीट इंटरचेंज करने को राजी हो गये हैं।
कांग्रेस से क्षत्रिय प्रत्याशी तो गठबंधन से ब्रााह्मण
कांग्रेस द्वारा महराजगंज में सुप्रिया श्रीनेत को टिकट देने के बाद सपा खेमे से अखिलेश सिंह के टिकट पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। हालांकि निषाद पार्टी के अलग होने से अखिलेश को टिकट की आस जगी थी। क्षत्रिय बिरादरी पर पकड़ रखने वाले पूर्व सांसद हर्षवर्धन की पुत्री सुप्रिया के मैदान में आ जाने से गठबंधन से ब्रााह्मण प्रत्याशी आने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया।
ऐसे में बसपा से वर्ष 2009 का चुनाव लड़ चुके गणेश शंकर पांडेय की दावेदारी मजबूत हो गयी। कांग्रेस ने पहले बाहुबली पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी की बेटी तनुश्री त्रिपाठी को प्रत्याशी घोषित किया था लेकिन कुछ घंटों बाद ही उनका टिकट काटकर तनुश्री को प्रत्याशी बना दिया। कांग्रेस ने यदि तनुश्री का टिकट बरकरार रखा होता तो गठबंधन से क्षत्रिय प्रत्याशी के रूप में अखिलेश सिंह की दावेदारी तगड़ी हो जाती।
विधान परिषद के पूर्व सभापति हैं गणेश शंकर पांडेय
गणेश शंकर पांडेय उत्तर प्रदेश विधान परिषद के पूर्व सभापति हैं। वह गोरखपुर- महराजगंज स्थानीय निकाय क्षेत्र से लगातार चार बार एमएलसी निर्वाचित हो चुके हैं। बाहुबली हरिशंकर तिवारी का भांजा होने के बावजूद उनकी निजी छवि साफ- सुथरी है। वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव उन्हांेने महराजगंज से ही बसपा के टिकट पर लड़ा था लेकिन तब कांग्रेस से हर्षवर्धन ने जीत हासिल की थी।