जुबिली पोस्ट
पाकिस्तान सेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक के करीब एक महीने बाद पत्रकारों की एक टीम को लेकर उस जगह पर ले गई जहां पर भारतीय सेना ने जैश के आतंकी कैंप पर हमला करके तबाह किया था। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान ने सारे सुबूत मिटाने के बाद पत्रकारों को घटनास्थल पर ले के गए ताकि ये साबित हो जाए कि भारतीय सेना के हमले में कोई नुकसान नहीं हुआ है।
रक्षा मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार पाकिस्तान ने बालाकोट का हुलिया बदलकर दुनिया को ऐसा दिखाने को कोशिश की है, जिससे लगे कि ये कोई आम मदरसा है। 28 मार्च को आठ मीडिया टीम के सदस्यों को बालाकोट कैंप के अंदर ले जाने से पहले 300 के करीब बच्चों को कैंप में बैठा दिया गया था। इन बच्चों को पहले से समझा दिया गया था कि इन्हें मीडिया के सामने क्या बोलना है।
रायटर को तीन बार जाने से रोक चुकी है पाक सेना
मीडिया एजेंसी रायटर की टीम ने 28 फरवरी से लेकर 8 मार्च के बीच तीन बार बालाकोट में जाने की कोशिश की, लेकिन तीनों ही बार पाक सेना ने उन्हें बैरंग लौटा दिया। कभी खराब मौसम का हवाला दिया तो कभी सुरक्षा कारणों का। एक अंग्रेजी पत्रिका ने अपने स्टिंग ऑपरेशन में पर्दाफाश किया था कि इस हमले में आतंकियों के साथ-साथ पाकिस्तानी सेना के जवान भी मारे गए हैं।
बताया जाता है कि पाकिस्तान ने बालाकोट में हमले के बाद ही पाकिस्तानी सेना की फ्रंटियर कोर को तैनात कर दिया था। इसके बाद चुपचाप आतंकियों के शवों को हटा दिया गया और तबाह हुए कैंप को दोबारा दुरुस्त कर दिया गया। यही वजह है कि हमले के एक महीने बाद पाकिस्तानी मीडिया को बालाकोट कैंप के अंदर ले जाया गया।