पॉलिटिकल डेस्क
कन्नौज उत्तर प्रदेश राज्य का एक शहर है। यह कन्नौज जिले का मुख्यालय और यूपी का एक नगर पालिका है। कन्नौज लोकसभा सीट पर सभी की निगाहें टिकी रहती हैं। इस शहर का नाम संस्कृत के शब्द कान्यकुब्ज से बना है। ऐसा माना जाता है की कान्यकुब्ज ब्राह्मण मूल रूप से कन्नौज के ही रहने वाले है । कन्नौज शहर राजा हर्षवर्धन के काल में हिन्दू साम्राज्य की राजधानी के रूप में विख्यात था। राजा मिहिर भोज के काल में कन्नौज को महोदय नाम से भी जाना जाता था।
आइन-ए-अकबरी से मालूम होता है की बादशाह अकबर के जमाने में कन्नौज मुगल सल्तनत के मुख्य केन्द्रों में से एक था। इस क्षेत्र का जिक्र रामायण में भी मिलता है। इतिहासकार टॉलमी ने ईसा काल के कन्नौज को ‘कनोगिजा’ लिखा है। आधुनिक कन्नौज कानपुर के पश्चिमोत्तर में गंगा नदी के तट पर बसा है।
कन्नौज की 83 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है जो खेती के काम में लगी हुई है । यहां आलू की अच्छी पैदावार होती है। कन्नौज अपने इत्र के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां 200 से ज्यादा किस्म के इत्र आज भी पुरानी पद्धति से बनाये जाते है। कन्नौज इत्र के अलावा अपने तम्बाकू और गुलाब जल के लिए भी जाना जाता है।
आबादी/ शिक्षा
कन्नौज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में विधानसभा की कुल पांच सीटें है जिसमें छिबरामऊ(कन्नौज), तिर्वा (कन्नौज), कन्नौज(अ.जा.), बिधूना(औरैया), रसूलाबाद(अ.जा) (कानपुर देहात) शामिल है। 2011 की जनगणना के अनुसार कन्नौज की आबादी 16,56,616 है, जिनमें पुरुषों की संख्या 8,81,776 जबकि महिलाओं की 7,74,840 है।
यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 876 महिलायें है। यह जिला 2093 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जिले की साक्षरता दर 72.70 प्रतिशत है । पुरुषों की साक्षरता दर 80.91 प्रतिशत है जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 63.33 प्रतिशत है। यहां की कुल 83.05 प्रतिशत आबादी हिन्दू और 16.54 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। कन्नौज लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 18,08,886 लाख है जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,000,035 और महिला मतदाताओं की संख्या 808,799 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
राजा हर्षवर्धन की नगरी में समाजवादी विचारधारा का झंडा हमेशा बुलंद होता रहा है। इस संसदीय क्षेत्र में 1967 तक रहा कांग्रेस का दबदबा राममनोहर लोहिया ने तोड़ा और लगातार आगे बढ़े । वहीं वर्ष 1999 से अब तक हुए आम चुनाव और उप चुनाव में लगातार सपा जीती। अखिलेश यादव ने हैट्रिक मारी। उनके मुख्यमंत्री बनने पर जब डिंपल को लड़ाया गया वह निर्विरोध जीती। मोदी लहर में सुब्रत पाठक ने जरूर लड़ाई दिखाई लेकिन हार गई। यहां भाजपा केवल एक बार वर्ष 1998 में जीती।
1967 में कन्नौज में हुए चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया ने कांग्रेस के एस.एन.मिश्रा को मात्र 472 वोटों से हराया था। 1971 में भारतीय जन संघ ने इस सीट पर जीत हासिल की।1977 में भारतीय लोकदल ने इस सीट पर कब्जा किया। 1984 के चुनाव में कांग्रेस की शीला दीक्षित कन्नौज की पहली महिला सांसद बनी। 1989 और 1991 के चुनाव में जनता दल यहां से विजयी। बीजेपी ने 1996 में यहां जीत दर्ज की लेकिन उसके बाद से यहां बीजेपी जीत दर्ज नहीं कर पायी।
1998 से इस सीट पर सपा का कब्जा है। 1998 में सपा के टिकट पर प्रदीप कुमार यादव ने जीत दर्ज की तो वहीं 1999 में मुलायम सिंह यादव ने। 2000 में यहां उपचुनाव हुआ जिसमें अखिलेश यादव विजयी रहे। 2009 तक यहां अखिलेश यादव यहां के सांसद रहे। 2012 में हुए उपचुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव निर्विरोध निर्वाचित हुई और 2014 में भी मोदी लहर के बावजूद उन्होंने विजय पताका फहराया।