जुबिली ब्यूरो
लखनऊ । अदालत के आदेश को लापरवाही से लेना किसी आईएएस अफसर को कितना भारी पड़ सकता है ये बात आज अपर मुख्य सचिव महेश गुप्ता को समझ आ गयी होगी। यूपी के दबंग आईएएस अफसरों में गिने जाने वाले महेश कुमार गुप्ता को आज लखनऊ हाई कोर्ट की एक अदालत ने पूरे दिन के लिए हिरासत में ले लिया।
अदालती हिरासत में पूरे दिन खड़े रहने के बाद शाम 4 बजे महेश कुमार गुप्ता को रिहा कर दिया गया।
मामला यूपी के सचिवालय में कंप्यूटर की खरीद से जुड़ा हुआ है। महेश कुमार गुप्ता पर आरोप है की उनके कार्यकाल में सचिवालय सेवा के समीक्षा अधिकारीयों के प्रमोशन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले की सुनवाई हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में चल रही है। इसी मामले में अदालत के निर्देशों को गंभीरता से न लेने के कारण जस्टिस विवेक चौधरी की बेंच ने डॉ. किशोर टंडन व 8 अन्य की ओर से दाखिल अवमानना याचिका पर पारित आदेश के क्रम में महेश गुप्ता को मंगलवार को अदालत में तलब किया गया था।
इस मामले में अदालत ने मंगलवार को आईएएस महेश गुप्ता को एक दिन की सजा और पच्चीस हजार का जुर्माना लगाया। इससे पहले कोर्ट ने सहायक समीक्षा अधिकारियों के सम्बंध में जारी 8 सितम्बर 2015 की वरिष्ठता सूची को खारिज कर दिया था और छ महीने में नई सूची बनाने का निर्देश भी दिया था। लेकिन न्यायालय द्वारा खारिज की जा चुकी सूची के तीन अधिकारियों को प्रोन्नति दे दी गई। 10 जुलाई 2018 को न्यायालय ने इसे अदालत के आदेश की जानबूझ कर की गई अवमानना मानते हुए महेश कुमार गुप्ता को तलब किया।
महेश कुमार गुप्ता ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर दो महीने का समय मांग लिया और वरिष्ठता सूची को खारिज करने वाले आदेश को हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दे दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष अपील को दृष्टिगत रखते हुए महेश कुमार गुप्ता के विशेष अनुमति याचिका को निस्तारित कर दिया ।
हाईकोर्ट ने कहा कि इन बातों को दृष्टिगत रखते हुए, हम पाते हैं कि अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता ने जान बूझकर कुछ कर्मचारियों के साथ वर्तमान मामले में भेदभाव किया व इस अदालत के आदेश की अवमानना की।
मंगलवार की सुबह करीब 10. 3० बजे जब महेश गुप्ता अदालत पहुंचे तो जज के हुक्म पर उन्हें फ़ौरन ही पुलिस हिरासत में ले लिया गया. करीब साढ़े 12 बजे जब मामले की दोबारा सुनवाई शुरू हुई तो महेश गुप्ता कोर्ट में हाँथ जोड़ कर खड़े हो गए। कोर्ट के आदेश पर शाम 4 बजे उन्हें रिहा कर दिया गया.
महेश कुमार गुप्ता पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं। उनके कार्यकाल में ही हुए कंप्यूटर और अन्य उपकरणों की खरीद में करोड़ो का घपला हुआ है। सचिवालय के कर्मचारी इस मामले की चर्चा दबी जुबान से करते हैं मगर अब तक इस मामले पर किसी ने खुल कर नहीं बोला है.