जुबिली डेस्क
लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच सुप्रीम कोर्ट की नोटिस से सपा संरक्षक मुलायम सिंह व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की परेशानी बढ़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट मांगी है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 2007 में सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि पहली नजर में केस बनता है इसलिए नियमित केस दर्ज कर जांच होनी चाहिए. अब कोर्ट ये जानना चाहता है कि इस केस में क्या हुआ? केस दर्ज हुआ या नहीं।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने राजनीतिक कार्यकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी की नई याचिका पर सुनवाई की। उन्होंने सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की है कि वह या तो सुप्रीम कोर्ट या फिर एक मजिस्ट्रेट अदालत के समक्ष आय से अधिक संपत्ति मामले की रिपोर्ट पेश करे। मुख्य ïन्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 2007 में सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि पहली नजर में केस बनता है इसलिए नियमित केस दर्ज कर जांच होनी चाहिए। अब कोर्ट इस मामले में जानना चाहता है कि इस केस में क्या हुआ। केस दर्ज हुआ या नहीं। वहीं मुलायम के वकील ने चुनाव के वक्तऐसी याचिका का विरोध किया और कहा कि कल सब अखबारों में यह खबर होगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि वक्त से कुछ फर्क नहीं पड़ता, क्या हुआ हमें जानना है।
सुप्रीम कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके
बेटे अखिलेश यादव, प्रतीक यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में सीबीआई को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
विश्वनाथ चतुर्वेदी ने 2005 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सीबीआई को यह निर्देश देने की मांग की थी वह मुलायम सिंह यादव, अखिलेश, उनकी पत्नी डिंपल यादव और मुलायम के एक अन्य बेटे प्रतीक यादव के खिलाफ सत्ता का दुरुपयोग कर कथित तौर पर आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति र्जित करने पर भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत उचित कार्रवाई करे।
सुप्रीम कोर्ट ने एक मार्च 2007 के अपने फैसले में सीबीआई को निर्देश दिया था कि वह गंभीर आरोपों की जांच करे और यह पता लगाए कि समाजवादी पार्टी के इन नेताओं की आय से अधिक संपत्ति के संदर्भ में लगाए गए आरोप सही है या नहीं।