लखनऊ। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव करीब आ रहा हैं, ठीक वैसे-वैसे नेताओं की बयानबाजी चरम पर है। आलम तो यह है कि चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दल के नेताओं की जुब़ान भी आउट ऑफ कट्रोल होती दिख रही है। बीजेपी को पराजित करने के लिए विरोधी लगातार मोदी को निशाने पर ले रहे हैं तो वही बीजेपी भी मोदी के सहारे पूरे विपक्ष को पराजित करने का सपना देख रही है। इस दौरान नेताओं की जुब़ान एक बार फिसलती दिख रही है। पुलवामा आतंकी हमले को लेकर राजनीति बहुत तेज हो गई है।
एक दिन पूर्व सपा के राम गोपाल यादव ने पुलवामा आतंकी हमले को लेकर मोदी सरकार पर सवाल उठाया था। इसके अगले दिन कांग्रेस गांधी परिवार के बेहद करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पुलवामा हमले के लिए पूरे पाक को दोषी नहीं ठहराना जाना चाहिए। उनके इस बयान के बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि उनके इस बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की जो प्रतिक्रिया सामने आयी है, उसे मोदी सरकार को बड़ी राहत मिल सकती है।
The sacrifices of our Armed Forces should never be questioned.
To ask questions of politicians in a democracy is our fundamental right.
This government needs to stop pretending to be the Indian Army. Politicians who say they cannot be questioned are dangerous.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 22, 2019
पुलवामा आतंकी हमले के बाद हर कोई सेना की शान में कसीदा पढ़ रहे हैं लेकिन कुछ लोग सेना से जवाबी कार्रवाई का सबूत मांग रहा है। सोशल मीडिया ट्विटर पर अपनी राय रखते हुए अखिलेश ने लिखा कि हमारे सशस्त्र बलों के बलिदान पर कभी सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। आगे लिखा कि लोकतंत्र में राजनेताओं से प्रश्न पूछना हमारा मौलिक अधिकार है। केन्द्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा है कि इस सरकार को भारतीय सेना होने का नाटक करने से रोकने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो राजनेता कहते हैं कि उनसे सवाल नहीं की जा सकती, वे खतरनाक हैं। कुल मिलाकर बीजेपी लगातार पुलवामा अटैक पर विपक्ष को घेर रही है।