Saturday - 2 November 2024 - 4:49 PM

अबकी होली संग मनाया जाएगा नौरोज

लखनऊ डेस्क। इस साल देश में होली और ईद-ए-नौरोज एक ही दिन 21 मार्च को मनाया जाएगा। दोनों त्योहारों के एक साथ पड़ने पर प्रशासन ने सुरक्षा को लेकर काफी कड़े इंतजाम किए हैं। नौरोज को लेकर राजधानी में यातायात व्यवस्था में बदलाव भी किया गया है।

क्या है नौरोज

नौरोज परशियन कैलेंडर का पहला दिन है, जिसे जोरोस्टियन व ईरानी नया दिन या पहला दिन के रूप में मनाते हैं। जोरोस्टियन ही ईरानियों के पूर्वज है जो आग की पूजा करते हैं। नौरोज नए दिन के रूप में कई देशों में मनाया जाता है, जैसे मुख्य रूप से ईरान, इराक, अफगनिस्तान, तजाकिस्तान, तुर्कमेकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, भारत और पाकिस्तान में भी इन देशों में रहने वाले भी सभी नहीं, फिर भी कई वर्गो के लोग मनाते हैं, जैसे कश्मीरी पंडित, बहाई, शिया मुसलमान व इस्माइली मुसलमान आदि नौरोज को ईद के रूप में मनाते हैं। इसके और भी कई कारण हैं। हर धर्म व हर वर्ग के पास अलग-अलग कारण हैं।

मुसलमान नए साल के तौर पर मनाते हैं

मुसलमान नए साल के तौर पर नौरोज इसलिए मनाते हैं कि इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना तो वैसे मोहर्रम है, लेकिन इस महीने में मोहम्मद-ए-मस्तफा (स.व.स.) के नाती हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) को कर्बला में परिवार व दोस्तों के साथ तीन दिन के प्यासे को शहीद कर दिया गया था। वह मोहर्रम के महीने की 10 तारीख थी। इस कारण मुसलमानों ने इस्लामी कैलेंडर का नया साल मनाना छोड़ दिया और मोहर्रम का महीना गम और दुख का पर्यायवाची बन गया।

वैसे मोहर्रम का महीना जोकि एहतिराम और इबादत का महीना माना जाता था, इसलिए यह महीना इबादत के साथ-साथ गम के महीने की भी पहचान बन गया। मुसलमान नए साल के रूप में नौरोज को मनाने लगे, वह भी ईद की सूरत में। नौरोज मनाना भी इसलिए जरूर था, क्योंकि इस दिन इस्लाम में कुछ खास ऐतिहासिक घटनाएं जुड़ी हैं..इस रोज यानी 21 मार्च 656 ई. को रसूल (स.व.स.) ने अली (अ.स.) को अपना जानशीन बनाया था। इस दिन हजरत अली की नज्र दिलवाते हैं, नए पकवान बनाकर नए कपड़े पहते हें और ईद की तरह ही लोगों को मुबारकबाद देकर गले मिलते हैं।

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com