लखनऊ डेस्क। भारत विविधताओं से भरा देश है, आपने बृंदावन की लट्ठमार होली के बारे में तो सुना होगा लेकिन उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में अनोखी जूता मार होली देखने को मिलती है। यहाँ भैंसा गाड़ी में लाट साहब को बिठा कर उन्हें पूरे गाँव में घुमाया जाता है। रास्ते में मिलने वाले हर चौराहे पर लाट साहब का स्वागत जूतों व चप्पलों से किया जाता है। लाट साहब का जुलूस शहर में दो स्थानों से निकाला जाता है। पहला जुलूस थाना कोतवाली के बड़े चौक से और दूसरा जुलूस थाना आरसी मिशन के सराय काईया से निकाला जाता है।
कैसे पड़ी यह परंपरा
इस परंपरा की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में अत्याचार के विरोध स्वरूप की गई थी। इस परंपरा को रोकने के लिये अंग्रेजों ने प्रयास किये पर यह परंपरा बंद नहीं हुई। इस परंपरा को बंद करने के कोर्ट में याचिका भी दायर की गई लेकिन यह परंपरा बंद नहीं हुई।
लाट साहब बने व्यक्ति की जाती है ख़ातिरदारी
इस परंपरा में लाट साहब बने व्यक्ति का नाम गोपनीय रखा जाता है और उस व्यक्ति की ख़ातिरदारी चार दिन पहले से की जाती है, रास्ते में मिलने वाले चढ़ावे को लाट साहब को ही सौंपा जाता है।
सुरक्षा का रखा जाता ध्यान
लाट साहब बने व्यक्ति को चोट न लगे, इसके लिए उसे हेलमेट पहनाया जाता है। पूरा शरीर पॉलीथिन से ढका रहता है। उसके साथ भैंसा गाड़ी पर कमेटी के अलावा पुलिस के जवान भी होते हैं। जुलूस में कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए फोर्स के साथ डीएम, एसपी से लेकर प्रशासन व पुलिस के अधिकारी व आरएएफ भी मौजूद रहती है। शासन स्तर से इस जुलूस की मॉनीटरिंग भी होती है।