पॉलिटिकल डेस्क
देवीपाटन मंडल का हिस्सा बहराइच जिला उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। एक समय में यह जिला ऐतिहासिक अवध का हिस्सा हुआ करता था जो नानपारा तालुकदारी के अन्दर आता था। इसकी सीमाएं उत्तर पूर्व में नेपाल के बर्दिया और उत्तर पश्चिम में बांके जिले से मिलती है।
बहराइच, नेपाल के नेपालगंज और लखनऊ के बीच रेलमार्ग पर स्थित है। यह शहर सरयू नदी पर स्थित है और घाघरा नदी इसके पास से होकर गुजरती है। बहराइच जिला पश्चिम में सीतापुर और लक्ष्मीपुर, दक्षिण-पश्चिम में हरदोई, दक्षिण-पूर्व में गोंडा और पूर्व में श्रावस्ती जिले से घिरा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग के एनएच-28ष् जिले के पास से होकर गुजरता है।
बहराइच पड़ोसी देश नेपाल के साथ होने वाले व्यापार जिनमें कृषि उत्पाद और इमारती लकड़ी प्रमुख है, का केंद्र है। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों में सिद्धनाथ मंदिर, सैयद सलार मसूद की मजार और कर्तनिया घाट शामिल है। दिल्ली से बहराइच की दूरी 681 किलोमीटर है।
आबादी/ शिक्षा
आबादी के मामले में बहराइच देश का 90वां सबसे ज्यादा आबादी वाला जिला है। बहराइच की आबादी 3,478,257 है। बहराइच केटेगरी ‘अ’ का जिला है जिसका मतलब है की यहां सामाजिक- आर्थिक और मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। बहराइच देश के 250 अति पिछड़े जिलों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश का 34वां जिला है जिसे अति पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि के तहत विशेष सहायता मिलती है।
2001 से 2011 तक बहराइच जिले की आबादी में रिकॉर्ड रूप से 46.48 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई जबकि 1991 से 2001 के बीच यह आंकड़ा 29.20 था। कुल आबादी का 8.14 प्रतिशत हिस्सा गांवों में जबकि 91.86 प्रतिशत हिस्सा शहरों में रहता है। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 892 महिलायें है। शहरों में यह आंकडा 909 और ग्रामीण इलाकों में 890 है।
बहराइच की औसत साक्षरता दर मात्र 49.36 प्रतिशत है जिसमें पुरुष साक्षरता दर 58.34 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 39.18 प्रतिशत है। वर्तमान में बहराइच में कुल मतदाता की संख्या 1,638,640 है जिसमें महिला मतदाता 755,897 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 882,643 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
बहराइच लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 56वें नंबर की सीट है। अस्तित्व में आने के बाद से 2009 तक यह सीट सामान्य श्रेणी की थी लेकिन 2009 में हुए आम चुनावों में इस लोकसभा सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया।
बहराइच में चार तहसीलें हैं जिनमें नानपारा, बहराइच, कैसरगंज और माह्सी शामिल है। बहराइच लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की पांच विधानसभा सीटें आती है, जिनमें बलहा, महासी, नानपारा, बहराइच और मटेरा शामिल है। बलहा की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
बहराइच में 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस को जीत मिली। 1957 में हुए चुनाव में भी कांग्रेस की झोली में यह सीट आयी। 1962 के चुनाव में कांग्रेस अपनी तीसरी जीत की उम्मीद लगाए हुए थी मगर स्वतंत्रता पार्टी ने कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
1971 के चुनावों में कांग्रेस ने दोबारा इस सीट पर कब्जा जमाया लेकिन 1977 के चुनाव में सीट बचाने में कामयाब नहीं हो सकी। इस चुनाव में भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की।
1980 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) ने और 1984 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा जमाया। 1989 में हुए चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना खाता खोला और लगातार तीन चुनाव में जीत हासिल की।
1998 के चुनाव में भाजपा को जीत की उम्मीद थी लेकिन बसपा ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया लेकिन 1999 में पुन: बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब हुई। लंबे जद्दोजहद के बाद आखिरकार 2004 के चुनाव में सपा इस सीट पर जीत हासिल करने में कामयाब हो पायी।
2009 के चुनाव में इस सीट पर एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की लेकिन 2014 में मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के झोली में आ गई। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी की साध्वी सावित्री बाई फूले सांसद हैं।