Saturday - 2 November 2024 - 5:11 PM

लोकसभा 2019: बेटे के लिए मैदान में उतरी मां

नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव में फिर एक मां का दिल बेटे के लिए पिघल गया है। क्या उस मां को अपने बेटे पर भरोसा नहीं था या फिर उसकी काबिलयत पर शक था? कुछ ऐसा ही इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीती में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि राजनीति के जानकारों की माने तो बेटे के ऊपर मां का विश्वास कम था। ऊपर से कई छोटे दलों ने गठबंधन कर बेटे को फेल करने की साजिश की, जिससे मां की चिंता बढ़ गयी, तब मां ने फैसला किया की वो भी मैदान में उतरेंगी और बेटे का मनोबल बढ़ाएगी।

रायबरेली से पांचवीं बार भाग्य आजमायेंगी सोनिया

आजादी के बाद से लगातार नेहरु- गांधी परिवार का साथ देती रही उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी पांचवीं बार भाग्य आजमायेंगी। इस सीट से तीन लोकसभा चुनाव और एक उपचुनाव जीत चुकी सोनिया गांधी की अस्वस्थता को देखते हुये यह माना जा रहा था कि इस बार वह चुनाव मैदान में नहीं उतरेंगी लेकिन कांग्रेस ने अपनी पहली ही सूची में उनका नाम शामिल कर इस तरह की अटकलों पर विराम लगा दिया।

सोनिया गांधी 2004 से लगातार इस सीट पर चुनाव जीत रहीं हैं। पिछले आम चुनाव में मोदी लहर के बावजूद रायबरेली के मतदाताओं ने उनका साथ दिया था और उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया था। रायबरेली सीट 1957 में अस्तित्व में आयी थी। वहां अब तक 16 लोकसभा चुनाव और तीन उपचुनाव हुये हैं जिनमें से 16 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की है।

कांग्रेस को 1977 में यहां पहली बार हार का सामना करना पड़ा था और 1996 तथा 1998 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। वर्ष 1999 के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का लगातार कब्जा है। सोनिया गांधाी ने रायबरेली से पहली बार 2004 में चुनाव लड़ा था और करीब ढाई लाख मतों से जीत हासिल की थी। उस समय उन्होंने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन तैयार करने में विशेष भूमिका निभायी थी। इन चुनावों के बाद केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में इस गठबंधन की सरकार बनी थी।

गठबंधन सरकार ने सोनिया की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सलाहकार परिषद का गठन किया था। लाभ के पद को लेकर विवाद खड़ा होने पर श्रीमती गांधी ने 2006 में लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में रायबरेली के लोगों ने उन्हें फिर से अपना सांसद चुना।

कांग्रेस अध्यक्ष रहते उन्होंने 2009 और 2014 में भी यहीं से चुनाव लड़ा और जीत का सिलसिला बरकरार रखा। मोदी लहर के बावजूद पिछले चुनाव में वह साढ़े तीन लाख से अधिक मतों से जीती थीं। पिछले चुनाव में कांग्रेस रायबरेली के अलावा अमेठी में ही जीत दर्ज कर पायी थी। जबकि भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा किया था।

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