लखनऊ। लोकसभा चुनाव बेहद करीब है। ऐसे में सियासी पारा चढ़ता दिख रहा है। यूपी में अपनी संभावाना को तलाश रही पीस पार्टी ने भी कमर कस ली है। इसी के तहत उसने एक नया गठबंधन बनाने का फैसला किया है। हालांकि इस गठबंधन का कितना असर यूपी में दिखेगा ये कहना अभी जल्दीबाजी होगा। यूपी की बात की जाये तो यहां पर सपा-बसपा एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं जबकि कांग्रेस की राह भी अलग है। वहीं शिवपाल यादव भी बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस के साथ जा सकते हैं। ऐसे में पीस पार्टी ने नया दाव चलते हुए नेशनल प्रोग्रेसिव एलाइंस (एनपीए) बनाने का फैसला किया है। इस बारे में पीस पार्टी के अध्यक्ष डॉ. अय्यूब खान ने शनिवार को एक पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एनपीए में पीस पार्टी के आलावा जयहिंद समाज पार्टी (अध्यक्ष नंदलाल निषाद), वंचित समाज पार्टी (अध्यक्ष रामकरण कश्यप),राष्ट्रीय क्रांति पार्टी (अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह लोधी) शामिल है। दरअसल सपा बसपा के गठबंधन में मौका नहीं मिलने की वजह से पीस पार्टी नया एलाइंस बनाने का फैसला किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि पीस पार्टी ने गोरखपुर उपचुनाव में सपा का समर्थन किया और जीत में निर्णायक भूमिका निभायी थी लेकिन इस बार उसकी राह अलग है।
नाराज पीस पार्टी ने नेशनल प्रोग्रेसिव एलाइंस का गठन किया
माना जा रहा है सपा-बसपा के महागठबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद नाराज पीस पार्टी ने नेशनल प्रोग्रेसिव एलाइंस का गठन किया है। इसके साथ वह कई जगह उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। डॉ. अयूब ने बताया कि उनकी पार्टी समाज के 70 फीसदी उपेक्षितों का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसे में वह बीजेपी को रोकने के लिए कुछ भी कर सकती है। डॉ. अय्यूब खान ने माना कि उनका गठबंधन कमजोर है लेकिन हम इसे और मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा उनकी पार्टी उपेक्षित समाज को सम्मान दिलाने के लिए उनका यह गठबंधन संघर्ष करेंगा। डॉ. अय्यूब ने कहा कि मौजूदा समय में कुछ लोगा हिन्दू-मुस्लिम, गाय-गोबर और पाकिस्तान के नाम समाज में नफरत फैलाने का काम करते हैं जो ठीक नहीं है। नये गठबंधन से सपा-बसपा को नुकसान होना तय है। वोटों के खेल में नुकसान पहुंचा सकते हैं।