प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश का एक जिला है, इसे लोग बेल्हा भी कहते हैं, क्योंकि यहां बेल्हा देवी मंदिर है जो कि सई नदी के किनारे बना है। इस जिले को ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी अहम माना जाता है। यहां के विधानसभा क्षेत्र पट्टी से ही देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने पदयात्रा के माध्यम से अपना राजनैतिक करियर शुरू किया था।
इस धरती को रीतिकाल के श्रेष्ठ कवि आचार्य भिखारीदास और राष्ट्रीय कवि हरिवंश राय बच्चन की जन्मस्थली के नाम से भी जाना जाता है। यह जिला धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी कि जन्मभूमि और महात्मा बुद्ध की तपोस्थली है।
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश का एक नगर निगम है। यह प्रतापगढ़ जिले का प्रशासनिक मुख्यालय के साथ-साथ इलाहाबाद डिवीजन का भाग भी है।
प्रतापगढ़ के बारे में मान्यता है कि राजा प्रताप बहादुर सिंह ने अरोर के पुराने शहर के पास रामपुर के राजधानी के साथ एक शहर की स्थापना की। उन्होंने वहां एक गढ़ या किला बनवाया और अपने नाम पर इसे प्रतापगढ़ का नाम दिया। समय के साथ इस किले के आस पास के इलाकों को भी प्रतापगढ़ ही कहा जाने लगा।
1858 में जब इस जिले की स्थापना हुई तब इसे बेल्हा प्रतापगढ़ के नाम से जाना जाता था क्योंकि यहां साईं नदी के किनारे बेल्हा भवानी
का एक मंदिर था, जिसे आम भाषा में ‘बेल्हा माईÓ कहते हैं। प्रतापगढ़ में सराई नाहर के पास कुंडा में पुरातत्व खुदाई में निओलिथिक काल के मानव और जानवरों के कंकाल मिले हैं। यह एकलौती ऐसी जगह है जहां पर इतने पुराने मानव के कंकाल मिले हैं।
प्रतापगढ़ सुल्तानपुर, इलाहाबाद, जौनपुर, फतेहपुर, और राय बरेली से घिरा हुआ है। दक्षिण-पश्चिम में गंगा नदी इसे इलाहाबाद और फतेहपुर जिलों से अलग करती है।
आबादी/ शिक्षा
प्रतापगढ देश के 250 सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है। यह 3,717 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा आंवला पैदा होता है। यहां की जनसंख्या 3,209,141 है। इसमें से 53 प्रतिशत पुरुष और 47 प्रतिशत महिलाएं हैं। यहां प्रति 1000 पुरुषों पर 998 महिलाएं हैं।
यहां की औसत साक्षरता दर 70.09 प्रतिशत है। यहां पुरुष साक्षरता दर 81.88 प्रतिशत और महिला साक्षरता दर 58.45 प्रतिशत है। वर्तमान में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,716,394 है जिसमें महिला मतदाता 792,852 और पुरुष मतदाता की संख्या 923,411 है।
प्रतापगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत 5 विधान सभा क्षेत्र आते हैं जिसमें रामपुर खास, बिश्वनाथगंज, प्रतापगढ़, पट्टी और रानीगंज शामिल है।
राजनीतिक घटनाक्रम
प्रतापगढ़ में 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुनीश्वर दत्त उपाध्याय विजयी रहे। उपाध्याय इस सीट से 2 बार लगातार चुनाव जीते। इसके बाद भारतीय जन संघ के अजित प्रताप सिंह ने इस सीट पर कब्जा किया।
1967 के आम चुनाव में कांग्रेस ने दोबारा यहां जीत हासिल की और इस बार कांग्रेस नेता दिनेश सिंह यहां से सांसद बने। श्री सिंह लगातार 2 बार इस सीट से जीते।
1977 के चुनाव में भारतीय लोकदल के रूपनाथ सिंह यादव ने इस सीट पर कब्जा जमाया लेकिन अगले चुनाव में अपनी सीट बचाने में नाकामयाब रहे।1980 से अगले तीन चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस विजयी रही। 1980 में अजित प्रताप सिंह तो 1984 और 1989 में दिनेश सिंह यहां से विजयी रहे।
1991 में जनता दल के नेता अभय प्रताप सिंह यहां से सांसद चुने गए। 1996 में दिनेश सिंह की पुत्री राजकुमारी रत्ना सिंह प्रतापढ़ की पहली महिला सांसद बनी। रत्ना कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। 1998 में पहली बार भाजपा यहां जीती और भाजपा नेता राम विलास वेदांती यहां के सांसद बने।
1999 के चुनाव में एक बार फिर राजकुमारी रत्ना सिंह को जनता ने अपना प्रतिनिधि चुना लेकिन 2004 में समाजवादी पार्टी के अक्षय प्रताप सिंह को जनता ने चुना। राजकुमारी रत्ना सिंह 2009 में तीसरी बार यहां से चुनी गई। 2014 में अपना दल के कुंवर हरिवंश सिंह प्रतापगढ़ के सांसद बने और अभी वे ही ये पद संभाल रहे हैं।