कंपनी को कर्ज देने वाले भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले सरकारी बैंकों के समूह ने कंपनी के 50.1 फीसदी शेयरों को 1 रुपए में लेने की बात कही है!
नई दिल्ली। देश की चर्चित एयरलाइन का फैसला आज हो सकता है। इस एयरलाइन की बिकने की बात इसलिए सामने आ रही है क्योकि हवाई ईंधन के दामों में बढ़ोतरी और ज्यादा मार्केट शेयर हासिल करने से उसकी मुश्किलें बढ़ गई। 2016 और 2017 में जहां कंपनी ने मुनाफा दर्ज किया था। वहीं, 2018 में उसे 767 करोड़ रुपए का घाटा भी हुआ है। इस वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 587.8 करोड़ का घाटा दर्ज किया गया। पिछली चार तिमाही में कंपनी लगातार घाटे में रही है।
करोड़ों की एयरलाइन जेट एयरवेज अब सिर्फ 1 रुपए में बिकने जा रही है। हालांकि, 1 रुपए में एयरलाइन की 50 फीसदी हिस्सेदारी ही बिकेगी। लेकिन, यकीनन यह चौंकाने वाला है। क्योंकि, जो एयरलाइन रोजाना हजारों पैसेंजर्स को एक शहर से दूसरे शहर या देश ले जाती है, उसकी कीमत इतनी कम आंकी गई। एक दौर में देश की शीर्ष एयरलाइंस में शुमार जेट एयरवेज पर कर्ज का बड़ा संकट है। पिछले कुछ महीनों से लगातार कंपनी रिवाइवल के लिए जद्दोजहद कर रही है। एयरलाइन का नेतृत्व करने वाले जब नाकाम रहे तो स्थिति सुधारने की जिम्मेदारी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास है। स्टेट बैंक की अगुआई वाले कंसोर्शियम ने रिजर्व बैंक के फ्रेमवर्क के हिसाब से 11.40 करोड़ नए शेयर जारी करके 50.1 फीसदी हिस्सेदारी 1 रुपए में खरीदने का प्रस्ताव दिया है।
कंपनी की आधी हिस्सेदारी 1 रुपए में बिकने जा रही है। कंपनी को कर्ज देने वाले भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले सरकारी बैंकों के समूह ने कंपनी के 50.1 फीसदी शेयरों को 1 रुपए में लेने की बात कही है। यह डील कंपनी को दिए गए कर्ज के पुनर्गठन के लिए है। 21 फरवरी यानी आज जेट एयरवेज की किस्मत का फैसला होगा। आज का दिन इस एयरलाइन और बैंक के लिए काफी दिलचस्प होगा।
ऐसे शुरू हुई थी एयरलाइन
एक दशक पहले कभी टिकट एजेंट रहे नरेश गोयल ने जेट एयरवेज की शुरुआत की थी। जेट एयरवेज की एंट्री शानदार रही। देश के उभरते एयरलाइन मार्केट में वह जल्द ही देश की टॉप 3 एयरलाइंस में शुमार हो गई। जेट एयरवेज ही वो एयरलाइन थी जिसने 1990 के दशक में एविएशन सेक्टर में सरकारी कंपनियों के एकाधिकार को समाप्त कर दिया था। फिलहाल, इस कंपनी में 24 फीसदी हिस्सेदारी अबू धाबी की एतिहाद एयरवेज के पास है।
मुश्किल में क्यों फंसी एयरवेज
एक समय पर जेट एयरवेज प्राइवेट सेक्टर में जबरदस्त एयरलाइन थी। बड़े मार्केट शेयर के साथ लगातार अच्छी सेवाएं देने के लिए डाली जाती थी। जेट एयरवेज का दबदबा इंडिगो, स्पाइसजेट, गो एयर के आने के बाद धीरे-धीरे कम होने लगा। इन कंपनियों से मुकाबला करने के लिए जेट ने किराया कम किया तो उसे नुकसान होने लगा। इसके बाद जेट फ्यूल महंगा होने की वजह से किराए बढ़ा और लोगों ने बजट एयरलाइंस की तरफ रुख किया। कमाई नहीं होने पर कंपनी लगातार लोन पर डिफॉल्ट करने लगी। कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए रकम कम पड़ी और कई उड़ानें रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। कंपनी लगातार कर्ज के तले दबती चली गई।
… तो जाएगी 23,000 नौकरियां
जेट एयरवेज का एयरलाइन मार्केट में रहना ही एक मात्र विकल्प है। क्योंकि, अगर एयरलाइन बंद होती है तो 23000 लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। लेकिन, सरकार ऐसा नहीं चाहती। क्योंकि, रोजगार सृजन न कर पाने का आरोप सरकार पर पहले ही लगता रहा है। अगर ऐसे में एक साथ 23000 लोग बेरोजगार होते हैं तो बड़ा संकट आ सकता है और इसका सीधा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।