यशोदा श्रीवास्तव
नेपाल को है पाकिस्तान के साथ कुछ बड़ा होने की उम्मीद
पहलगाम की घटना से नेपाल में भी गम और गुस्सा का माहौल है। तमाम कारणों से नेपाल की मौजूदा हुकूमत की भारत से नाइत्तफाकी के बावजूद वह चाहता है कि इस बार भारत की ओर से पाकिस्तान के साथ कुछ बड़ा हो। इस वजह से नहीं कि पहलगाम में उसके भी एक नागरिक सुदीप न्योपाने की हत्या हुई, बल्कि इस वजह से कि नेपाल भी एक टूरिस्ट कंट्री है और उसे इस बात का भय सताने लगा है कि कहीं पाक आतंकियों का रुख इधर हो गया तो वह बर्बाद हो जाएगा। टूरिस्टों ने आना जाना बंद कर दिया तो वहां का व्यापार डूब जाएगा और भुखमरी की नौबत आ जाएगी। भारतीय टूरिस्टों का बड़ा हब नेपाल की खूबसूरत वादियां भी है।
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर बाबू राम भट्टाराई ने दिल्ली में खुले शब्दों में कहा कि पहलगाम घटना के खिलाफ भारत जो भी कार्रवाई करेगा, नेपाल उसके साथ खड़ा है। यह केवल एक पूर्व प्रधानमंत्री की अभिव्यक्ति नहीं है। इसे नेपाल की मंशा माना जाना चाहिए। भारत में नेपाल के राजदूत रहे दीप कुमार उपाध्याय ने कहा पाकिस्तान भारत सरकार की दरियादिली को कमजोरी समझने की भूल न करें। 1971 में भारत द्वारा दिया गया घाव उसे भूलना नहीं चाहिए। आज भारत में उस वक्त से मजबूत सरकार है।
एमाले सांसद मंगल प्रसाद गुप्ता ने कहा कि पहलगाम पर अटैक कर पाकिस्तान अपने वजूद की समाप्ति के लिए भारत को उकसा रहा है। नेपाली कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने कहा कि पाकिस्तान खुलकर सामने न आकर भाड़े के टट्टुओं से निर्दोषों की हत्या करवाकर बड़ी भूल कर रहा है। उसे पहलगाम की घटना की बड़ी क़ीमत चुकानी होगी।
नेपाल के इस्लामिक विद्वान डाक्टर अब्दुल गनी अलकूफी और राष्ट्रीय मदरसा संघ के महासचिव मौलाना मशहूद खां ने पहलगाम की घटना की निंदा की है और कहा है कि निर्दोषों का कत्ल कर पाकिस्तान अपनी तबाही की इबारत लिख रहा है। उम्मीद जताई कि आने वाले कुछ ही दिनों में उसे इसकी कल्पना से भी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ेगी।
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के केंद्रीय सदस्य दीपक राजौरिया ने कहा कि पहलगाम में धर्म पूछकर हंसते खेलते पर्यटकों को निशाना बनाना पाकिस्तान की क्रूरता की पराकाष्ठा है।
नेपाल जनता पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मंत्री हृदयेश त्रिपाठी और महासचिव पूर्व मंत्री ईश्वर दयाल मिश्रा ने कहा कि पाकिस्तान को अब आतंकी देश घोषित करने का वक्त आ गया है। उसके प्रोडक्ट का बहिष्कार कर उसे आर्थिक रूप से कमजोर करने की जरूरत है। दोनों नेताओं ने कहा कि हो सकता है पाक द्वारा भारत पर हमला किसी को अच्छा लगता हो लेकिन वह यह न भूलें कि अगला नंबर उसका भी हो सकता है।
हृदयेश त्रिपाठी ने कहा कि भारत में नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा प्रधानमंत्री मिला जो वसुधैव कुटुंबकम् की नीति पर चलकर सर्व धर्म समभाव की बात करता है, स्वयं नेपाल जाकर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जन्मदिन की मुबारकबाद देता है और बदले में पाकिस्तान कभी पूलवामा तो कभी पठान कोट और कभी पहलगाम जैसी दर्दनाक घटनाएं देता है। उन्होंने कहा पाकिस्तान के लिए यह अच्छा अवसर था जब वह भारत से पुराने बैर भाव भुलाकर मधुर संबंध स्थापित कर सकता था लेकिन कहावत है की कुत्ते की पूंछ कहां सीधी होती है। उन्होंने कहा हम सब उम्मीद करते हैं कि इस बार उसे जरूर ऐसी सजा मिले कि उसकी पीढ़ियां याद करें।
पहलगाम में मारे गए 27 निर्दोषों के खून के छींटें नेपाल तक भी पहुंचा है। बुटवल के युवा व्यवसाई सुदीप न्योपाने अपनी बहन बहनोई और मां के साथ पहलगाम घूमने गए थे। सुदीप वहां आतंकियों की गोली का शिकार हो गए। जिस रोज परिजनों द्वारा उनका शव नेपाल लाया गया उस रोज नेपाल बार्डर पर हजारों नेपाली लोग इकट्ठा थे। सबके सब पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगा रहे थे। और सबकी एक स्वर से मांग की थी भारत पाकिस्तान को सबक सिखाए,पूरा नेपाल उसके साथ है।
पहलगाम की घटना के बाद नेपाल का गुस्सा इसलिए मायने रखता है क्योंकि नेपाल की धरती का इस्तेमाल पाक खूफिया और आतंकी संगठन करते रहते हैं। किसी जमाने में जाली भारतीय मुद्रा के भंडारण का बड़ा केंद्र काठमांडू हुआ करता था जहां से उसके एजेंट नेपाल सीमा से सटे भारतीय बाजारों तक पहुंचाते थे। 1999 में काठमांडू से ही आतंकियों द्वारा भारतियों से भरी जहाज का अपहरण कर कंधार ले जाया गया था। इसके अलावा पाकिस्तान से जुड़े कई सारे आतंकी नेपाल सीमा पर ही पकड़े गए। मुंबई ब्लास्ट के आरोपी याकूब मेमन काठमांडू में ही रहा। कराची में शरण लिए दाउद इब्राहिम का अभी भी यहां बड़ा नेटवर्क है।
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दरअसल पहलगाम की घटना से नेपाल की चिंता अपना प्रयटन उद्योग बचाने की है। नेपाल के कुल आर्थिक स्रोत का बड़ा हिस्सा प्रयटन उद्योग से हासिल होता है और टूरिस्टों में भी बाकी देशों के मुकाबले भारत की बड़ी भागीदारी होती है। यहां टूरिस्टों के सुरक्षा के बेहतर इंतजाम भी नहीं रहते और न ही खूफिया पहरा होता है। पहलगाम की घटना से नेपाल का डर इस बात को लेकर है कि कहीं नेपाल की धरती पर भारतीय पर्यटकों को निशाना बनाया गया तो उसकी तो कमर ही टूट जाएगी। चूंकि पाकिस्तान का आपराधिक दिमाग कहीं भी कुछ भी कर सकता है। वक्त आ गया जब इसका फन उठने के पहले ही कुचल दिया जाय!