जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) के बढ़ते उपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ड्राइवरों की नौकरियों पर पड़ने वाले संभावित असर को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है और EV नीति के कार्यान्वयन पर चार हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
AI को लेकर जस्टिस सूर्यकांत ने जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा, “मेरी चिंता यह है कि AI ड्राइवरों के रोजगार को खत्म न कर दे। भारत में ड्राइवरी एक बड़ा रोजगार का स्रोत है।” यह टिप्पणी सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई।
प्रशांत भूषण ने उठाया EV इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रदूषण का मुद्दा
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने दलील दी कि भारत के 15 में से 14 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, “अगर सरकार वाकई ईवी को बढ़ावा देना चाहती है तो उसे चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना होगा।” उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा, “अगर कोई दिल्ली से पालमपुर जाना चाहता है तो रास्ते भर चार्जिंग स्टेशन की सुविधा होनी चाहिए।”
AI से वकील वर्ग भी चिंतित
जस्टिस सूर्यकांत ने AI के तेज़ विकास को लेकर बार (वकीलों) की चिंता भी जताई। उन्होंने कहा कि अमेरिका में AI आधारित वकील कोर्ट में तर्क दे रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट है कि AI बार के भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है।
AI-ड्राइविंग का अनुभव: बिना ड्राइवर की उबर
प्रशांत भूषण ने एक निजी अनुभव साझा किया कि उनके बेटे ने कैलिफोर्निया में एक AI से संचालित उबर कार से सफर किया, जिसमें कोई ड्राइवर नहीं था। उन्होंने इसे भविष्य की बड़ी चुनौती बताया।
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EV नीति पर रिपोर्ट मांगी, अगली सुनवाई 14 मई को
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने सरकार की ओर से समय मांगा। कोर्ट ने केंद्र को 4 हफ्ते का समय देते हुए EV से जुड़ी नीतियों, NEMMP 2020 और नीति आयोग की योजनाओं पर प्रगति रिपोर्ट मांगी है। इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी।