अशोक कुमार
आज की दुनिया में हिंसा, असहिष्णुता, सामाजिक अन्याय, आर्थिक असमानता और पर्यावरणीय संकट जैसी कई चुनौतियाँ मौजूद हैं।
महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा, सर्वधर्म समभाव, सत्याग्रह और आत्मनिर्भरता के सिद्धांत इन समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करते हैं और एक बेहतर भविष्य का मार्ग दिखाते हैं। एक समर्पित विश्वविद्यालय इन विचारों का गहन अध्ययन और प्रसार कर सकता है।
युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी के जीवन, दर्शन और मूल्यों से परिचित कराना आवश्यक है ताकि वे एक नैतिक और जिम्मेदार नागरिक बन सकें। एक विश्वविद्यालय गांधीवादी विचारों को युवाओं तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने और उन्हें सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रेरित करने का एक शक्तिशाली माध्यम हो सकता है।
गहन अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा देना: महात्मा गांधी के विचारों का अभी भी पूरी तरह से अन्वेषण नहीं किया गया है। एक समर्पित विश्वविद्यालय गांधीवादी दर्शन के विभिन्न पहलुओं पर गहन अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा दे सकता है, जिससे नए ज्ञान और अंतर्दृष्टि का सृजन होगा।
गांधीवादी विचार दर्शनशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, पर्यावरण अध्ययन और शांति अध्ययन जैसे कई विषयों से जुड़े हुए हैं। एक विश्वविद्यालय इन विभिन्न विषयों को एक साथ लाकर गांधीवादी विचारों का समग्र और अंतःविषयक अध्ययन प्रदान कर सकता है।
गांधीवादी अध्ययन में विशेषज्ञता रखने वाले शिक्षकों और शोधकर्ताओं की आवश्यकता है जो इस ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुँचा सकें और इस क्षेत्र में अनुसंधान को आगे बढ़ा सकें। एक समर्पित विश्वविद्यालय ऐसे विशेषज्ञों को प्रशिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
महात्मा गांधी के विचार वैश्विक स्तर पर प्रासंगिक हैं। एक विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों, कार्यकर्ताओं और नीति निर्माताओं के बीच गांधीवादी विचारों पर संवाद और सहयोग को बढ़ावा दे सकता है। राजस्थान का महात्मा गांधी के जीवन और कार्यों से गहरा संबंध रहा है। खेड़ा सत्याग्रह और अन्य आंदोलनों के दौरान उनका यहाँ आना-जाना रहा। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण भी राजस्थान में महात्मा गांधी के नाम पर एक विश्वविद्यालय स्थापित करना उचित होगा। विश्वविद्यालय छात्रों में सत्य, अहिंसा, करुणा, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय जैसे गांधीवादी मूल्यों को विकसित करने में मदद कर सकता है, जो एक स्वस्थ और प्रगतिशील समाज के लिए आवश्यक हैं।
एक गांधीवादी विश्वविद्यालय छात्रों को सामुदायिक सेवा और सामाजिक कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित कर सकता है, जिससे वे गांधी के सेवा भाव और सामाजिक जिम्मेदारी के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से सीख सकें।
ऐसा विश्वविद्यालय गांधीवादी विचारधारा के अनुयायियों और इतिहासकारों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है, जिससे पर्यटन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। NEP 2020 बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देता है, और गांधीवादी अध्ययन में दर्शनशास्त्र, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र और साहित्य जैसे कई विषयों का समावेश होता है। इसलिए, महात्मा गांधी के अध्ययन पर एक विश्वविद्यालय स्थापित करना NEP 2020 के सिद्धांतों के अनुरूप हो सकता है, खासकर यदि यह संस्थान गांधीवादी विचारों के विभिन्न पहलुओं में गहन अध्ययन और अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करे।
मूल गांधीवादी अध्ययन से संबंधित विषय
गांधीवादी दर्शन और विचार: यह विषय गांधी के प्रमुख दार्शनिक सिद्धांतों जैसे सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय, न्यासता , और उनके आध्यात्मिक और नैतिक विचारों का गहन अध्ययन करेगा।
गांधी का जीवन और कार्य: गांधी के प्रारंभिक जीवन से लेकर स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका और उनके अंतिम दिनों तक की जीवनी का विस्तृत अध्ययन। उनके प्रमुख आंदोलनों (जैसे असहयोग, सविनय अवज्ञा, भारत छोड़ो) और उनके द्वारा स्थापित संस्थानों का अध्ययन।
गांधी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी की नेतृत्व भूमिका, उनकी रणनीतियाँ और उनका प्रभाव। अन्य स्वतंत्रता सेनानियों और आंदोलनों के साथ उनके संबंध।
गांधी का सामाजिक और राजनीतिक चिंतन: जाति व्यवस्था, अस्पृश्यता, महिलाओं के अधिकार, ग्राम स्वराज, लोकतंत्र और राष्ट्रवाद पर गांधी के विचार। समकालीन सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके विचारों की प्रासंगिकता।
गांधी और अर्थशास्त्र: गांधी का स्वदेशी आंदोलन, ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था, विकेंद्रीकरण और शोषण मुक्त अर्थव्यवस्था का उनका दृष्टिकोण। वर्तमान आर्थिक नीतियों के संदर्भ में उनकी विचारों की प्रासंगिकता।
गांधी और धर्म: सभी धर्मों के प्रति गांधी का दृष्टिकोण, धार्मिक सहिष्णुता, और धर्म का नैतिकता और राजनीति से संबंध।
गांधी और संचार: गांधी के जनसंचार के तरीके, उनके लेखन, भाषण और आंदोलनों के माध्यम से लोगों को संगठित करने की उनकी क्षमता का अध्ययन।
अंतर-विषयक दृष्टिकोण वाले विषय
गांधी और दर्शनशास्त्र: पश्चिमी और भारतीय दर्शन के संदर्भ में गांधी के विचारों का तुलनात्मक अध्ययन। नीतिशास्त्र, सामाजिक दर्शन और राजनीतिक दर्शन के साथ उनके विचारों का संबंध।
गांधी और इतिहास: गांधी के जीवन और कार्यों का ऐतिहासिक संदर्भ, उनके समय की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ। इतिहास लेखन में गांधी का स्थान।
गांधी और समाजशास्त्र: भारतीय समाज पर गांधी के विचारों का प्रभाव, सामाजिक परिवर्तन के उनके तरीके, और सामुदायिक विकास में उनकी भूमिका।
गांधी और राजनीति विज्ञान: गांधी के राजनीतिक विचार, सत्ता की अवधारणा, अहिंसक प्रतिरोध के सिद्धांत, और लोकतांत्रिक शासन के उनके विचार।
गांधी और अर्थशास्त्र: गांधीवादी अर्थशास्त्र के सिद्धांत, सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के साथ इसका संबंध।
गांधी और साहित्य: गांधी के लेखन का अध्ययन (जैसे ‘हिंद स्वराज’), उन पर और उनके आंदोलनों पर लिखे गए साहित्य का अध्ययन।
गांधी और कला: गांधी के जीवन और दर्शन का कला, संगीत और रंगमंच पर प्रभाव।
गांधी और शांति अध्ययन: संघर्ष समाधान, अहिंसक प्रतिरोध, और शांति निर्माण में गांधी के विचारों और तरीकों का अध्ययन।
गांधी और मानवाधिकार: मानवाधिकारों के प्रति गांधी का दृष्टिकोण और समकालीन मानवाधिकार आंदोलनों पर उनका प्रभाव।
गांधी और पर्यावरण अध्ययन: प्रकृति के प्रति गांधी का सम्मान और सतत जीवन शैली के उनके विचार। पर्यावरण संरक्षण के आंदोलनों के लिए उनकी प्रासंगिकता।
गांधी और लिंग अध्ययन: महिलाओं के अधिकारों और समाज में उनकी भूमिका पर गांधी के विचार।
समकालीन प्रासंगिकता और अनुप्रयोग पर केंद्रित विषय
गांधीवादी विचार और समकालीन चुनौतियाँ: आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, असमानता और सामाजिक अन्याय जैसी वर्तमान वैश्विक चुनौतियों के समाधान में गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता का अध्ययन।
गांधीवादी नेतृत्व और प्रबंधन: नेतृत्व के गांधीवादी सिद्धांत और उनका आधुनिक प्रबंधन प्रथाओं में अनुप्रयोग।
गांधीवादी आंदोलन और सामाजिक परिवर्तन: विभिन्न सामाजिक आंदोलनों पर गांधीवादी तरीकों का प्रभाव और सामाजिक परिवर्तन लाने में उनकी भूमिका।
गांधी और मीडिया: आधुनिक मीडिया के संदर्भ में गांधीवादी मूल्यों और संचार के तरीकों की प्रासंगिकता।
गांधीवादी शिक्षा: शिक्षा के प्रति गांधी का दृष्टिकोण और समकालीन शिक्षा प्रणालियों में उनके विचारों का अनुप्रयोग।
यह विश्वविद्यालय इन विषयों के अंतर्गत स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यह शोध केंद्र, गांधीवादी संग्रहालय और अभिलेखागार भी स्थापित कर सकता है ताकि गांधीवादी अध्ययन और अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सके। विश्वविद्यालय को अंतःविषयक दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि छात्र गांधीवादी विचारों की समग्र समझ विकसित कर सकें और विभिन्न शैक्षणिक क्षेत्रों में उनके अनुप्रयोगों का पता लगा सकें।
महात्मा गांधी अध्ययन पर केंद्रित एक विश्वविद्यालय विभिन्न स्तरों पर शैक्षणिक डिग्री प्रदान कर सकता है, जो छात्रों की शैक्षणिक प्रगति और विशेषज्ञता को दर्शाती हैं। यहाँ उन संभावित शैक्षणिक डिग्रियों की सूची दी गई है जो इस
विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जा सकती हैं
स्नातक (Undergraduate Degrees): बी.ए. (बैचलर ऑफ आर्ट्स) इन गांधीवादी अध्ययन: यह तीन वर्षीय डिग्री गांधी के जीवन, दर्शन, और प्रमुख विचारों की एक व्यापक नींव प्रदान करेगी।
बी.ए. (बैचलर ऑफ आर्ट्स) इन गांधी और सामाजिक विज्ञान: यह डिग्री गांधीवादी विचारों को समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र जैसे सामाजिक विज्ञानों के साथ जोड़कर अध्ययन कराएगी।
बी.ए. (बैचलर ऑफ आर्ट्स) इन गांधी और शांति अध्ययन: यह डिग्री संघर्ष समाधान, अहिंसक प्रतिरोध और शांति निर्माण के गांधीवादी सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
बी.ए. (बैचलर ऑफ आर्ट्स) इन गांधी और विकास अध्ययन: यह डिग्री गांधीवादी अर्थशास्त्र, ग्राम स्वराज और सतत विकास के विचारों का अध्ययन कराएगी।
बी.कॉम. (बैचलर ऑफ कॉमर्स) इन गांधीवादी अर्थशास्त्र: यह डिग्री वाणिज्य और अर्थशास्त्र के सिद्धांतों को गांधीवादी आर्थिक विचारों के साथ एकीकृत करेगी।
बी.एस.डब्ल्यू. (बैचलर ऑफ सोशल वर्क) विद स्पेशलाइजेशन इन गांधीवादी सामाजिक कार्य: यह डिग्री सामाजिक कार्य के सिद्धांतों को गांधीवादी मूल्यों और दृष्टिकोणों के साथ जोड़ेगी।
स्नातकोत्तर (Postgraduate Degrees): एम.ए. (मास्टर ऑफ आर्ट्स) इन गांधीवादी अध्ययन: यह दो वर्षीय डिग्री गांधीवादी विचारों और दर्शन का गहन और विशिष्ट अध्ययन प्रदान करेगी।
एम.ए. (मास्टर ऑफ आर्ट्स) इन गांधी और शांति अध्ययन: यह डिग्री शांति निर्माण, संघर्ष विश्लेषण और अहिंसक कार्रवाई के गांधीवादी सिद्धांतों पर उन्नत अध्ययन प्रदान करेगी।
एम.ए. (मास्टर ऑफ आर्ट्स) इन गांधी और विकास अध्ययन: यह डिग्री विकास के गांधीवादी मॉडल, ग्रामीण विकास और सतत विकास पर केंद्रित होगी।
एम.फिल. (मास्टर ऑफ फिलॉसफी) इन गांधीवादी अध्ययन: यह डिग्री छात्रों को डॉक्टरेट अध्ययन के लिए तैयार करने के लिए अनुसंधान-आधारित उन्नत अध्ययन प्रदान करेगी।
डॉक्टरेट (Doctoral Degrees):
पीएच.डी. (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) इन गांधीवादी अध्ययन: यह डिग्री गांधीवादी विचारों के किसी विशिष्ट क्षेत्र में मौलिक अनुसंधान करने का अवसर प्रदान करेगी।
डी.लिट्. (डॉक्टर ऑफ लिटरेचर) / डी.फिल. (डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी) (मानद उपाधि): यह विश्वविद्यालय गांधीवादी दर्शन या संबंधित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों को मानद उपाधियाँ भी प्रदान कर सकता है।
डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम : विश्वविद्यालय विभिन्न अवधि के डिप्लोमा और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम भी प्रदान कर सकता है, जो विशिष्ट कौशल या ज्ञान प्रदान करते हैं, जैसे: गांधीवादी विचारधारा में डिप्लोमा, अहिंसक संचार में
सर्टिफिकेट , गांधीवादी सामाजिक कार्य में डिप्लोमा, शांति और संघर्ष समाधान में सर्टिफिकेट ,गांधी और सतत जीवन शैली में सर्टिफिकेट
इन डिग्रियों और पाठ्यक्रमों के अलावा, विश्वविद्यालय अंतःविषयक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए अन्य विभागों के साथ संयुक्त डिग्री कार्यक्रम भी प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए, गांधी और पत्रकारिता, गांधी और कानून, आदि।
यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाने वाली शैक्षणिक डिग्रियाँ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों और छात्रों को विभिन्न करियर पथों के लिए तैयार करें, चाहे वह शिक्षा, अनुसंधान, सामाजिक कार्य, नीति निर्माण या सक्रियता हो। पाठ्यक्रमों को समकालीन चुनौतियों और गांधीवादी विचारों की प्रासंगिकता को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया जाना चाहिए।
पूर्व कुलपति कानपुर , गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर