जुबिली स्पेशल डेस्क
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर देश की राजनीति में जबरदस्त घमासान छिड़ा हुआ है। संसद से पारित यह कानून अभी तक लागू नहीं हो पाया है, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज़ तक पहुंच चुका है।
इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट और देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना को खुले तौर पर कटघरे में खड़ा कर दिया है।
शनिवार, 19 अप्रैल को मीडिया से बात करते हुए दुबे ने बेहद तीखे आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट को ही कानून बनाना है तो संसद और विधानसभा को बंद कर देना चाहिए।”
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इतना ही नहीं, दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर धार्मिक टकराव और गृहयुद्ध भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा कि “भारत में हो रहे गृहयुद्धों के लिए मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना जिम्मेदार हैं।”
दुबे का यह बयान उस वक्त आया है जब वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है, और देशभर में इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। उन्होंने कोर्ट के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट का एक ही उद्देश्य है: ‘मुझे चेहरा दिखाओ, मैं तुम्हें कानून दिखाऊंगा’।”
इस बयान के बाद राजनीतिक और संवैधानिक हलकों में बहस और तेज हो गई है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या रुख अपनाता है और राजनीति में इसके क्या प्रभाव पड़ते हैं।
भारत में वक्फ इतिहास का अवलोकन
भारत में वक्फ संपत्तियों के शासन को प्रशासन में सुधार और कुप्रबंधन को रोकने के उद्देश्य से कई विधायी अधिनियमों के माध्यम से विनियमित किया गया है:
- मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम, 1913: इस अधिनियम ने मुसलमानों के अपने परिवारों और वंशजों के लाभ के लिए वक्फ बनाने के अधिकार को स्पष्ट और पुष्टि की, जिसमें अंतिम धर्मार्थ उद्देश्य शामिल हैं:
- वक्फ प्रबंधन को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने का उद्देश्य।
- तथापि, अधिनियम के कार्यान्वयन के दौरान यह महसूस किया गया कि यह अधिनियम वक्फ के प्रशासन में सुधार करने में कारगर सिद्ध नहीं हुआ।
- मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923: वक्फ संपत्तियों के प्रशासन में उचित लेखांकन और पारदर्शिता सुनिश्चित करके उनके प्रबंधन में सुधार के लिए पेश किया गया।
- मुसलमान वक्फ विधिमान्य अधिनियम, 1930: इसने 1913 के अधिनियम को पूर्वव्यापी प्रभाव प्रदान किया, जिससे पारिवारिक वक्फ की कानूनी वैधता को बल मिला।
- वक्फ अधिनियम, 1954: वक्फ संपत्तियों के व्यवस्थित प्रशासन, पर्यवेक्षण और संरक्षण के लिए पहली बार राज्य वक्फ बोर्डों (एसडब्ल्यूबी) की स्थापना की गई: