जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नकद लेन-देन की सीमा को लेकर बड़ा बयान दिया। कोर्ट ने कहा कि जब कोई कानून बनता है, तो उसका प्रभावी रूप से इम्प्लीमेंटेशन होना जरूरी है। यह टिप्पणी वित्त अधिनियम 2017 के तहत नकद लेन-देन की सीमा (₹2 लाख) पर की गई।
बड़ा कैश लेन-देन धारा 269ST का उल्लंघन
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ₹2 लाख से ज्यादा नकद लेन-देन आयकर अधिनियम की धारा 269ST का सीधा उल्लंघन है। यह केस उस याचिका से जुड़ा था जिसमें 10 अप्रैल 2018 को एक प्रॉपर्टी डील के लिए ₹75 लाख कैश में एडवांस दिए जाने का दावा किया गया था।
कोर्ट ने क्या कहा?
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“जब कोई कानून है, तो उसे लागू किया जाना चाहिए।”
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ऐसे मामलों में अदालतों को IT डिपार्टमेंट को सूचना देनी चाहिए ताकि उचित प्रक्रिया अपनाई जा सके।
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नकद ट्रांजैक्शन पर अब भी पर्याप्त निगरानी नहीं हो रही है, जो चिंता का विषय है।
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IT विभाग चाहें तो छापेमारी भी कर सकता है, अगर कैश ट्रांजैक्शन की सीमा पार होती है।
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कानून का उद्देश्य – डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देना
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यह कानून काले धन को रोकने और डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने के लिए लाया गया था। अगर किसी संपत्ति की रजिस्ट्री में ₹2 लाख या उससे अधिक की कैश पेमेंट सामने आती है, तो सब-रजिस्टार को भी IT विभाग को सूचना देनी चाहिए।