डा. उत्कर्ष सिन्हा
ये वाकई एक बड़ी खबर है कि मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को माफ़ कर दिया है और अब वे वापस पार्टी में शामिल हो चुके है।अब जबकि आकाश आनंद के लिए पार्टी के दरवाज़े फिर से खुल गए हैं, तो बड़ा सवाल ये भी है कि पार्टी के अंदर चल क्या रहा है। आखिर क्यों मायावती आकाश आनंद को बार-बार ज़िम्मेदारी देती हैं और फिर उस ज़िम्मेदारी से हटा भी देती हैं।
बीते मार्च में मायावती ने तो उन्हें पार्टी से ही निकाल दिया था , तब भी सवाल उठे कि मायावती ने अचानक ये फ़ैसला क्यों लिया। जो जानकारी मायावती और उनकी पार्टी की तरफ से दी गई थी उसके पीछे मुख्य कारण यही था कि आकाश आनंद किसी न किसी तरह से अपने ससुर से प्रभावित हैं या उनके आदेशों का पालन कर रहे हैं। वो पार्टी की गोपनीयता का ख्याल नहीं रख रहे हैं, नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।
लेकिन अब 41 दिन बाद खबर आई कि आकाश आनंद ने सबसे पहले अपनी बुआ और पार्टी की मुखिया मायावती से माफ़ी मांगी और 3 से 4 घंटे बाद मायावती ने आकाश आनंद को माफ़ कर दिया।
तो पार्टी के अंदर ये सब क्या चल रहा है? सबसे बड़ी बात ये है कि मायावती जो कह रही हैं, क्या वो सच है? जबकि कहा जा रहा है कि मायावती पिछले 6 से 7 सालों से खुद दबाव में हैं। यह किसका दबाव है? कहा जाता रहा है कि मायावती केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रही हैं।
2014 के बाद से, जब से बीजेपी केंद्र सरकार बनी है, मायावती की राजनीति बदल गई है. फिलहाल बीजेपी के विरोधी ही उनके निशाने पर भी हैं. मायावती के पिछले 6 से 7 सालों के बयानों को देखें तो वो सबसे ज़्यादा कांग्रेस पर हमला करती हैं, और अगर उनके निशाने पर कोई दूसरी पार्टी है, तो वो समाजवादी पार्टी है.
एक समय में उनका थोडा या ज्यादा वोट लगभग सभी राज्यों में था. लेकिन अब बीएसपी का महत्वपूर्ण आधार सिर्फ़ यूपी में बचा है. उसके बावजूद अगर मायावती अभी भी बीजेपी पर हमला नहीं कर रही हैं, और जिस तरह से आकाश आनंद ने भाजपा पर हमला कर रहे थे , तो कहा गया कि आकाश आनंद बीजेपी के ज़्यादा ख़िलाफ़ हैं.
अब, जब 41 दिन बाद अचानक आकाश आनंद को अपनी गलती का एहसास हुआ। तो सवाल ये है कि क्या उन्हें वाकई अपनी गलती का एहसास हुआ? या उन्हें समझाया गया है? या फिर ये कौन सी राजनीति है?
यहां बड़ा सवाल सबके मन में है कि क्या पार्टी में कोई उथल-पुथल मची हुई है और मायावती तय नहीं कर पा रही हैं कि क्या करें। उन पर बीजेपी से डरने का भी आरोप है और उन पर बीजेपी की बी टीम बन जाने का भी आरोप है। तो पहले आकाश आनंद को पार्टी से निकालना और फिर वापस लेना , क्या मायावती भी आकाश आनंद के दबाव में हैं?
नहीं, मायावती पर सबसे बड़ा दबाव अपने वोट बैंक को बचाने का दबाव है।
पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर गौर करें जब आकाश आनंद को बीएसपी से निकाला गया उसके बाद, गुजरात में जारी कांग्रेस की एडवाइजरी में फोकस दलित और ओबीसी पर है . उसके बाद आगरा की घटना हुयी जिसकी वजह सपा सांसद रामजी लाल सुमन का संसद में राणा सांगा के बारे में दिया बयान था और जिस तरह से पूरी समाजवादी पार्टी रामजी लाल सुमन के साथ खड़ी हो गयी है तो मायावती को भी दिख रहा है कि दलित राजनीति उनके हाथ से फिसल रही है और इस समय कोई सक्रिय युवा नेता ही मायावती के वोट बैंक को रोक सकता है और वो क्षमता उन्हें सिर्फ आकाश आनंद में ही दिख रही है .
ऐसा भी कहा जा रहा है कि जब आकाश आनंद को पहली बार उनका उत्तराधिकारी बनाया गया था और उसके बाद आकाश आनंद के बयान वैसे ही थे जिस तरह से वह काशीराम भाजपा के बारे में आक्रामक बयान देते थे. आकाश को उत्तराधिकारी बनाने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में स्टार प्रचारक भी बनाया गया और उनकी पहली रैली बिजनौर में योगी आदित्यनाथ पर सीधा हमला किया और उन्होंने सीधे तौर पर उनके बुलडोजर की कार्रवाई पर सवाल उठाए कि सरकार की जिन योजनाओं का आप ढिंढोरा पीट रहे हैं आपने जनता के लिए क्या किया? आप बुलडोजर लेकर आये हो, जनता ने आपको जो वोट दिया था वो जोड़ने के लिए दिया था तोड़ने के लिए नहीं और उसके बाद उनकी अगली रैली संत कबीर नगर में भी उन्होंने बीजेपी पर हमला बोला और इसी का नतीजा हुआ कि उनसे उनका पद छीन लिया गया.
आकाश आनंद ने एक भाषण में बीजेपी को आतंकवादी पार्टी कहा था और ऐसा कहा गया कि अगर बीजेपी के नेता वोट मांगने आएं तो उनका स्वागत उनके जूते से किया जाए , इस तरह की जो भाषा काशीराम की हुआ करती थी वही भाषा आकाश आनंद की की भी थी और बीजेपी को इसका खतरा दिख रहा था.
2024 के लोकसभा चुनावो में दलित वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा महागठबंधन की तरफ चला गया और माना गया कि मायावती ने आकाश आनंद पर जो एक्शन लिया यह उसका भी असर था , चर्चा हुई कि जो व्यक्ति बीजेपी के खिलाफ बोल रहा है आप उसके खिलाफ एक्शन ले रहे हैं .
मायावती को जल्द ही इस बात का अहसास हो गया कि आकाश आनंद युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं और यहाँ तक कहा जा रहा है कि युवाओं के बीच वो मायावती से ज्यादा लोकप्रिय हैं .
बीएसपी के वोटरों के बीच और बीएसपी में, कहा जाता है कि जो व्यक्ति मायावती से ज्यादा लोकप्रिय होने की कोशिश करता है उसे तुरंत किनारे कर दिया जाता है , तो एक खतरा आकाश आनंद को मायावती से और दूसरा सबसे बड़ा खतरा बीजेपी से था क्योंकि जिस तरह से वो बीजेपी पर सीधा हमला कर रहे हैं उससे बीजेपी भी डरी हुई है.
यह साफ है कि उन्होंने आकाश आनंद को माफ कर दिया है उन्होंने उनके लिए पार्टी में वापसी के दरवाजे खोल दिए हैं लेकिन उत्तराधिकारी के तौर पर उन्हें कोई जगह नहीं दी जाएगी और इसका एक बड़ा कारण सामने आ रहा है क्योंकि मायावती को खुद की लोकप्रियता खतरे में नजर आ रही है और वह निश्चित रूप से भाजपा के दबाव में आकाश आनंद जिस तरह से अपनी राजनीतिक विचारधारा के अनुसार चुनाव मैदान में उतरते हैं या जिस तरह से बयान देते हैं वो बहुत खतरनाक हैं .
जिस तरह से कांग्रेस ने दलितों पर अपना राजनीतिक फोकस बढ़ाया है उससे यह साफ हो गया है कि अगर मायावती स्थिति को नहीं संभाल पाईं तो वह यूपी की राजनीति से पूरी तरह से किनारे हो जाएँगी .