Thursday - 10 April 2025 - 12:51 PM

इस राज्य में एचआईवी के मिले इतने केस, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप

जुबिली न्यूज डेस्क 

उत्तराखंड। उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी राजकीय अस्पताल में जनवरी 2024 से मार्च 2025 तक एचआईवी के 477 नए मामलों की पुष्टि हुई है। खास बात यह है कि इनमें से 43 मामले सिर्फ मार्च 2025 में सामने आए हैं। इस चिंताजनक आंकड़े ने स्वास्थ्य विभाग और समाज में गहरी चिंता पैदा कर दी है।

एचआईवी के हर दिन तीन नए मरीज

अस्पताल के एंटी-रेट्रोवायरल थेरेपी (ART) केंद्र के डॉक्टर वैभव कुमार का कहना है, “हर दिन नए संक्रमित मरीजों का आना एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है। हम हर दिन कम से कम तीन नए मरीजों को एचआईवी संक्रमण के साथ देखते हैं।”

एचआईवी से महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित

रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं और बच्चों की संख्या संक्रमित मरीजों में अधिक पाई गई है। इनमें से कई बच्चों को जन्म के समय अपनी मां से एचआईवी संक्रमण हुआ है, क्योंकि माताओं को समय पर इलाज और परामर्श नहीं मिल पाया था।

“कई महिलाएं संक्रमित थीं, लेकिन उन्हें समय पर इलाज नहीं मिला, जिससे उनके बच्चे भी संक्रमित हो गए।” – डॉ. कुमार

संक्रमण के मुख्य कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि नशीली दवाओं का सेवन और असुरक्षित यौन संबंध एचआईवी के बढ़ने के मुख्य कारण हैं। नशे के आदी लोग एक दूसरे के साथ सिरिंज शेयर करते हैं, जिससे यह वायरस तेजी से फैलता है।

“नशे की लत और असुरक्षित यौन संबंधों की वजह से संक्रमण फैल रहा है, और लोग परामर्श लेने से कतराते हैं।” – डॉ. कुमार

हल्द्वानी जेल में भी एचआईवी संक्रमण

रिपोर्ट के अनुसार, हल्द्वानी जेल में 23 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए। जेल प्रशासन ने इन मामलों का खुलासा तब किया जब एक बंदी ने इलाज की मांग की और जांच में अन्य संक्रमित कैदी भी सामने आए।

“कुछ कैदियों को पहले से लक्षण थे, लेकिन उन्होंने किसी से साझा नहीं किया था,” – आधिकारिक बयान

स्वास्थ्य विभाग की योजना: रोकथाम के उपाय

स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण की रोकथाम के लिए जनजागरूकता अभियान चलाने, स्कूलों और कॉलेजों में यौन शिक्षा को बढ़ावा देने, और नशामुक्ति कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करने की योजना बनाई है।

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सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता

यह आंकड़ा केवल एक चिकित्सा आपात स्थिति नहीं है, बल्कि एक सामाजिक चेतावनी भी है। यदि इस पर तत्काल नियंत्रण नहीं पाया गया, तो स्थिति और खराब हो सकती है। सरकार और समाज को मिलकर एचआईवी के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।

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