Tuesday - 25 February 2025 - 5:40 PM

महाकुंभ में स्वतंत्रता सैनानी चंद्रशेखर आजाद की तस्वीर के साथ पहुंचे लोग

जुबिली न्यूज डेस्क 

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ का समापन अब बस एक दिन दूर है, और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर कुंभ का अंतिम स्नान होगा। इस धार्मिक मेले में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। अब तक 63 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने इस पवित्र आयोजन में स्नान किया है। संगम तट पर रोज़ नए और खास नजारे देखने को मिल रहे हैं, और सोमवार को एक ऐसा ही अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब महाराष्ट्र से आए कुछ श्रद्धालु स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर लेकर कुंभ मेले में पहुंचे।

महाराष्ट्र से आए इस समूह के सभी सदस्य हाथों में चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर लेकर संगम पहुंचे। उन्होंने बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ संगम में डुबकी लगाई, और साथ ही, उन्होंने चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर को भी पवित्र जल से स्नान कराया। ये लोग जय हिंद अभियान संगठन से जुड़े हुए थे, और उनका मानना था कि अगर चंद्रशेखर आज़ाद आज जीवित होते, तो वे निश्चित रूप से महाकुंभ में स्नान करने आते।

चंद्रशेखर आज़ाद की तस्वीर से श्रद्धांजलि

जय हिंद अभियान संगठन से जुड़े इन लोगों ने कहा कि, भले ही चंद्रशेखर आज़ाद अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वे उनकी तस्वीर के माध्यम से उन्हें महाकुंभ में श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते थे। उनका उद्देश्य यह था कि वे आज़ाद की उपस्थिति को महाकुंभ में दर्ज कर सकें और स्वतंत्रता संग्राम के इस महान नायक को इस खास तरीके से सम्मानित कर सकें।

इस दौरान इस संगठन से जुड़े लोगों ने सरकार से मांग की कि चंद्रशेखर आज़ाद को शहीद का आधिकारिक दर्जा दिया जाए। उनका मानना था कि चंद्रशेखर आज़ाद ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया, लेकिन अब तक उन्हें शहीद का दर्जा नहीं मिला है। साथ ही, वे चाहते हैं कि उन्हें भारत रत्न और अन्य राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जाए, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ उनके संघर्ष और बलिदान को याद रख सकें।

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श्रद्धालुओं का उत्साह और संदेश

महाकुंभ के इस पवित्र माहौल में इन श्रद्धालुओं ने ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद चंद्रशेखर आज़ाद अमर रहें’ जैसे नारे लगाए, जिससे पूरे संगम तट पर देशभक्ति और श्रद्धा का वातावरण बना। इन लोगों की इस विशेष पहल को देखकर अन्य श्रद्धालु भावुक हो गए, और इसे स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में एक अनूठा योगदान माना। महाकुंभ के इस धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन में देशप्रेम और बलिदान का यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया, और यह संदेश दिया कि धर्म और देशभक्ति दोनों को साथ-साथ मनाना चाहिए।

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