जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या में राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास को लेकर बड़ी खबर आ रही है। दरअसल 12 फरवरी को उनका निधन हो गया है।
उनके निधन की खबर अस्पताल की तरफ से दी गई है। डॉक्टरों के मुताबिक उनका निधन ब्रेन हेमरेज की वजह से हुआ है। ब्रेन हेमरेज के होने के बाद उनको पीजीआई में भर्ती कराया गया था।
अस्पताल की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी श्री सतेंद्र दास जी ने आज अंतिम सांस ली। उन्हें 3 फरवरी को स्ट्रोक के कारण गंभीर हालत में न्यूरोलॉजी वार्ड के एचडीयू में भर्ती कराया गया था। आचार्य सत्येंद्र दास ने 85 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली. आचार्य सत्येंद्र दास 3 फरवरी से ही अस्पताल में भर्ती थे।
योगी ने उनके निधन पर कहा कि परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य श्री सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है। विनम्र श्रद्धांजलि!
प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति!
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रधान पुजारी हैं। वह 1992 से रामलला की पूजा-अर्चना कर रहे हैं और मंदिर निर्माण के पूरे चरण में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं।
- व्यक्तिगत जानकारी
- नाम: आचार्य सत्येंद्र दास
- भूमिका: श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी
- नियुक्ति: 1992 में, बाबरी मस्जिद विध्वंस से लगभग 9 महीने पहले।
- स्थान: अयोध्या, उत्तर प्रदेश
- भूमिका और सेवाएँ
- आचार्य सत्येंद्र दास पिछले तीन दशकों से रामलला की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
राम मंदिर के निर्माण के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और लगातार भव्य मंदिर निर्माण की वकालत की। - वे मंदिर में दैनिक पूजा, अभिषेक और धार्मिक अनुष्ठान का नेतृत्व करते हैं।
मंदिर निर्माण के बाद भी वे रामलला की सेवा में लगे हुए हैं। - आचार्य सत्येंद्र दास का मानना है कि रामलला का मंदिर बनने से अयोध्या और पूरे देश में धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना का विकास होगा।
- उन्होंने विभिन्न मौकों पर शांति, सद्भाव और धार्मिक समर्पण का संदेश दिया है।
राम मंदिर आंदोलन और उसके बाद की घटनाओं को लेकर उन्होंने अयोध्या के ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिकता पर जोर दिया है।