जुबिली स्पेशल डेस्क
दिल्ली में सरकार बदल गई है और बीजेपी जल्द वहां पर नई सरकार का गठन करने की तैयारी में है। आम आदमी पार्टी को बीजेपी के द्वारा बड़ी पराजय झेलनी पड़ी है।
दूसरी तरफ एक बार फिर दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का खाता तक नहीं खुला है। आम आदमी पार्टी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि जनता उसे इस तरह से सत्ता से बेदखल करेंगी।
हालांकि इस बाद से इनकार नहीं किया जा सकता है कि अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ चुनाव लड़े तो परिणाम इसके उलट हो सकते थे। पूरे चुनाव का विश्लेषण करें तो कुल एक दर्जन से ज्यादा सीटें ऐसी थी जहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ मैदान में उतरते तो बीजेपी को एक बार फिर सत्ता का वनवास झेलना पड़ता था। बीजेपी ने 48 सीटें जीती है जबकि आम आदमी पार्टी ने 22 विधायकों ने जीत हासिल की जबकि कांग्रेस को एक बार फिर निराशा हाथ लगी और एक भी सीट जीतने में पूरी तरह से नाकाम रही। बीजेपी को कुल 45.90 वोट मिले जबकि आम आदमी पार्टी को 43.70 प्रतिशत वोट हासिल हुए है।
वहीं कांग्रेस ने 6.38 फीसदी जनता का साथ मिला है। इस तरह से देखा जाये तो अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के दोनों के वोट शेयर को जोड़ देते तो कुल लगभग 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले और ऐसी स्थिति में बीजेपी का सरकार बनाना मुश्किल हो जाता।
हरियाणा में कांग्रेस ने बेहद शानदार प्रदर्शन किया था लेकिन आम आदमी पार्टी ने वहां पर कांग्रेस का पूरी तरह से खेल बिगाड़ दिया था और सत्ता के करीब पहुंचकर कांग्रेस सत्ता से दूर रह गई थी।
वोट परसेंट की ओर नजर पर एक नजर
बीजेपी 45.90
आप 43.70
कांग्रेस 6.38 फीसदी
हालांकि कांग्रेस लास्ट मूवमेंट तक आप से हाथ मिलाना चाहती थी। इतना ही उसने कई बार इस पहल की लेकिन केजरीवाल की तरफ से कोई ठोस जवाब नहीं आया। इसका।नतीजा ये रहा कि दोनों के गठबंधन नहीं हो सका