जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी होने वाला है। कांग्रेस को दिल्ली विधानसभा चुनाव से अच्छी खासी उम्मीद हैै। इसलिए कांग्रेस लगातार दिल्ली चुनाव को लेकर एक्टिव है और अपनी खोई भी सियासी जमीन को दोबारा से पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है।
इसी के तहत कांग्रेस जनसभाएं कर रही है लेकिन ये जनसभाएं अन्य सभाओं से काफी अलग है। दरअसल देश के अलग-अलग हिस्सों में ‘जय बापू, जय भीम और जय संविधान’ नाम से जनसभाएं कर बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। इसी के तहत कांग्रेस सीलमपुर से इस अभियान का आगाज किया था और दूसरी रैली कर्नाटक के बेलगामी में किया और अब तीसरी रैली 28 जनवरी को डॉ भीमराव आंबेडकर के जन्मस्थली महू में करने की योजना है। राजनीति के जानकार कांग्रेस के इस कदम को अच्छा बता रहे हैं और साथ में कह रहे हैं कि कांग्रेस अब बसपा की राह पर चल रही है।
एक दौर था जब कांग्रेस के पास दलित कोर वोट बैंक मजबूत हुआ करता था लेकिन 80 के दशक में उसका वोट बैंक उसके हाथ से खिसक गया और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस वक्त बसपा का उदय हुआ और बसपा ने दलित आवाज को नेशनल लेवल पर उठाया।
वहीं दलितों का एक बड़ा तबका बीजेपी के साथ भी गया और इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस फिर से अपने वोट बैंक खासकर दलित वोट बैंक को हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है।
कांग्रेस ही दलित समाज के विश्वास जीतने के लिए फिर से नई रणनीति बना रही है और जमीनी स्तर पर अपने संगठन को मजबूत कर रही है। इसी के तहत कांग्रेस ने जय बापू, जय भीम और जय संविधान नाम से अभियान चलाने का ऐलान किया।
मायावती इस वक्त राजनीति के हशिये पर है और कांग्रेस पूरी तरह से उसी वोट बैंक हासिल करना चाहती है , जो किसी वक्त मायावती की पार्टी पास हुआ करता था।
इतना ही नहीं इस ठोस रणनीति का असर है कि अब राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी सहित तमाम कांग्रेसी नेताओं के गले में नीला अंगवस्त्र पड़ा दिखाई पड़ रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेस की इस नई रणनीति से बसपा को नुकसान हो सकता है और बीजेपी के लिए ये खतरे की घंटी बज जरूर गई है।