सैय्यद मोहम्मद अब्बास
इमरान खान बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान की सियासत में लगातार सुर्खियों में रहे हैं। दरअसल इमरान खान क्रिकेट की पिच पर हमेशा अपनी गेंदबाजी, कप्तानी और कभी हार नहीं मानने वाले खिलाड़ी के तौर पर याद किये जाते हैं।
लेकिन राजनीति की पिच पर इमरान पूरी तरह से गच्चा खा गए और उनको पावेलियन लौटना पड़ा वो भी बगैर खाता खोले। ‘लास्ट बॉल’ तक लडऩे का दावा करने वाले इमरान को अब सलाखों के पीछे अपनी जिंदगी गुजारनी पड़ेगी। पाकिस्तान क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों से एक, इमरान खान ने कभी सपने में भी सोचा नहीं था उनको ये दिन भी देखना पड़ेगा।
पाकिस्तान की एक अदालत ने इमरान खान को भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है। स्थानीय प्रसारक एआरवाई न्यूज ने बताया कि एक पाकिस्तानी अदालत ने भूमि भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में शुक्रवार को पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान को 14 साल और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 7 साल कैद की सजा सुनाई।
पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 190 मिलियन पाउंड के अल-कादिर ट्रस्ट मामले में भ्रष्टाचार का दोषी पाया और उन्हें क्रमशः 14 और सात साल जेल की सजा सुनाई।
दिसंबर 2023 में, राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने 72 वर्षीय इमरान खान, उनकी 50 वर्षीय पत्नी बुशरा बीबी, और छह अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन पर राष्ट्रीय खजाने को 190 मिलियन पाउंड (लगभग 50 अरब पाकिस्तानी रुपये) का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया। हालांकि, अन्य आरोपियों, जिनमें एक संपत्ति व्यवसायी भी शामिल है, के देश से बाहर होने के कारण मुकदमा केवल इमरान खान और उनकी पत्नी पर चलाया गया।
पाकिस्तान का एक वर्ग आज भी इमरान खान के साथ और वो मानता है कि इमरान खान अब भी एक ऐसे नेता हैं, जिन्होंने पाकिस्तान को “सिस्टम” के खिलाफ लड़ाई में नेतृत्व दिया लेकिन जब विरोधियों और वहां की सेना को जब उनसे खतरा महसूस हुआ तो यहीं चीज इमरान खान के खिलाफ चली गई। उनके विरोधी यहीं कहते हैं कि इमरान एक ऐसा नेता हैं, जो सत्ता और लोकप्रियता की लालसा में कानून और शासन को नजरअंदाज करता रहा। लेकिन जो इमरान को नजदीक से जानते हैं कि वो मान रहे हैं अपना कप्तान इतनी आसानी से सरेंडर नहीं करेगा और वो फिर लड़ेंगा और जीतेंगा।
क्रिकेट में संन्यास के बाद लौटे थे लेकिन…
इमरान ख़ान की विश्व क्रिकेट में अपनी अलग पहचान है लेकिन राजनीति में सालों मेहनत के बाद यहां तक पहुंचे हैं। वहीं क्रिकेट की बात की जाये तो उनका करियर साल 1987 में वर्ल्ड कप के बाद ही खत्म हो गया था लेकिन पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक़ के विशेष आग्रह पर उन्होंने दोबारा क्रिकेट के मैदान पर वापसी की है और पाकिस्तान को अपनी लीडरशिप से विश्व क्रिकेट में अलग पहचान दिलायी।
1992 के विश्व कप में एक कमजोर टीम को चैम्पियन बनाया
इमरान के क्रिकेट जीवन की बात की जाये तो उन्होंने पाकिस्तान के लिए वो कर दिखाया था जो अब तक किसी कप्तान ने नहीं किया था। 1992 के विश्व कप में एक कमजोर टीम को चैम्पियन बनाया।
अपनी शानदार कप्तानी और साथी खिलाडिय़ों के बेजोड़ प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने ये करिश्मा किया था लेकिन राजनीतिक पिच पर इमरान खान कोई खास कमाल नहीं कर सके और तो और उनके पार्टी के सदस्य विरोधियों के खेमे में शामिल हो गए। इसका नतीजा यह रहा कि इमरान की टीम कमजोर पड़ गई और नम्बर गेम पिछड़ गई।
इमरान ख़ान ने जब अपनी पार्टी का गठन किया था तब उनको अंदाजा नहीं था कि क्रिकेट में 11 खिलाडिय़ों की कमान संभालना और एक राजनीतिक पार्टी की बागडौर संभालने में जमीन-आसमान का फर्क होता है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) में कई मौकों पर टूट देखने को मिली। अगर कहा जाये तो सत्ता से बेदखल होने में उनके सहयोगियों ने उनको धोखा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ का किया था गठन
सफलता और असफलता के इस खेल में इमरान को मुंह की खानी पड़ी है। क्रिकेट में कप्तान अपनी पसंद की टीम को खिलाता है लेकिन राजनीति में ऐसा कुछ भी नहीं है। जहां फायदा होता वहां पर पाला बदलने में देर नहीं लगती है।
बाजवा को बर्खास्त करना चाहते थे इमरान खान
इमरान खान का अपनी सत्ता को मजबूत करने के चक्कर में विकेट गिरा है। पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि इमरान खान ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा को बर्खास्त करना चाहते थे और इसके बाद से ही उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इमरान यह कदम उनके घातक साबित हुआ और असफलता हाथ लगी, क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी नहीं किया।
माना जाता है कि इमरान खान की यहीं से उल्टी गिनती शुरू हो गई और अब उनका राजनीतिक करियर खत्म होता हुआ दिख रहा है या फिर वो इससे बाहर आ जा सकता है। ये तो आने वाले वक्त बतायेंगा।