जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक बड़ा नाम है लेकिन उनकी पलटने की आदत से सभी वाकिफ है और इस वजह से उनको अब पलटूराम के नाम से ज्यादा पुकारा जाता है।
पिछले साल जनवरी में उन्होंने अचाकन से पाला बदल लिया और लालू यादव से नाता तोड़ते हुए फिर से बीजेपी ने दोबरा रिश्ता जोड़ते हुए सीएम बन गए है लेकिन एक बार फिर उनको लेकर बिहार की सियासत में एक अलग ही हवा चल रही है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार से बीजेपी का मोह भंग हो गया है और वो फिर से इधर से उधर जाने का मन बना रहे हैं।
अभी तक विपक्षी खेमा भी इशारों में इस बात को हवा देने में जुट गया है। राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का ताजा बयान भी बिहार की सियासत का अचानक से पारा चढऩे का काम जरूर किया है।
उन्होंने नीतीश कुमार को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनके लिए हमारे दरवाजे खुले है। वह अगर आते हैं तो हम साथ क्यों नहीं लेंगे। नीतीश कुमार साथ में आएं, मिलकर काम करे। लालू ने कहा कि नीतीश कुमार ही हमेशा भाग जाते हैं, हम माफ कर देंग। हालांकि लालू यादव के बयान के बाद बीजेपी का पलटवार जवाब भी आ गया है। बीजेपी के अनुसार लालू यादव अब सपना ना देखें।
नीतीश अब लालू-तेजस्वी को माफ करने वाले नहीं हैं. लालू से पहले आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र ने भी कहा था अगर जेडीयू सांप्रदायिक ताकतों का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय जनता पार्टी के साथ नाता तोडऩे की इच्छा दिखाती है तो वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ एक और बार फिर से गठबंधन करने को तैयार हैं।
एक बार फिर नीतीश कुमार को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। बड़ा सवाल है क्या नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मरेंगे। इसके संकेत फिर से मिल रहे है। नीतीश कुमार लगातार भाजपा की नेताओं से दूरी बनाते हुए नजर आ रहे हैं।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है अमित शाह का बयान। नीतीश कुमार अमित शाह के उस बयान से काफी आहत हैं, जिसमें उनके मुख्यमंत्री वाले सवाल पर अमित शाह ने बेहत हैरान करने वाला जवाब दिया। उन्होंने इशारों में नीतीश कुमार जवाब देने की कोशिश की। दूसरी तरफ ललन सिंह और संजय झा केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद लगातार बीजेपी के करीब होते नजर आ रहे है। नीतीश कुमार पुरानी घटनाओं को याद कर रहा है।
कहा जा रहा है कि दिल्ली गए नीतीश ने मनमोहन सिंह के परिजनों से मुलाकात की, लेकिन एनडीए के नेताओं से मुलाकात करने से बचते नजर आए।
दूसरी तरफ तेजस्वी यादव ने राज्यपाल से मुलाकात की है। इस दौरान तेजस्वी यादव के चेहरे की खुशी थी।इसके साथ बुधवार को तेजस्वी यादव ने नव वर्ष के मौके पर एक पत्र लिखा।
उन्होंने लिखा कि मेरा आपसे वादा है कि भविष्य में जब-जब भी बिहार की विकास गाथा का इतिहास पढ़ा जाएगा, साल 2025 का नाम एक ऐसे वर्ष के रूप में अवश्य याद किया जाएगा, जिसने बदलाव एवं नए बिहार के नवनिर्माण की नींव रखी। यह बिहार के सुनहरे सपनों को सच करने वाला साल है।
ऐसे में देखना होगा कि क्या बस नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा को लेकर कोई बड़ा कदम उठाते हैं या नहीं लेकिन नीतीश कुमार का मौन कहीं ना कहीं एक बार फिर उनके पलटने की ओर इशारा करता हुआ नजर आ रहा है।