प्रो. अशोक कुमार
2025, भारत की उच्च शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण वर्ष होने की आशा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के साथ, हम एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहे हैं जहां उच्च शिक्षा अधिक समावेशी, नवीन और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी होगी।
2025 तक, हम निम्नलिखित परिवर्तनों की उम्मीद कर सकते हैं:
1.सर्वांगीण विकास पर जोर:
कौशल विकास: केवल सैद्धांतिक ज्ञान पर ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक कौशल विकास पर भी अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए ।
बहु-विषयक शिक्षा: छात्रों को विभिन्न विषयों का गहन ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
शारीरिक शिक्षा और योग: शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शारीरिक शिक्षा और योग को पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए।
2. डिजिटल शिक्षा का प्रसार:
ऑनलाइन शिक्षा: अधिक से अधिक उच्च शिक्षा संस्थान ऑनलाइन शिक्षा की पेशकश होनी चाहिए , जिससे दूर-दराज के क्षेत्रों के छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
डिजिटल संसाधन: छात्रों को डिजिटल संसाधनों जैसे ई-पुस्तकालय, ऑनलाइन पाठ्यक्रम और मंचों तक पहुंच प्रदान की जानी चाहिए ।
3. अनुसंधान और नवाचार पर जोर:
अनुसंधान संस्कृति: विश्वविद्यालयों में अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा और छात्रों को अनुसंधान परियोजनाओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।
उद्योग-अकादमिक सहयोग: उद्योग और अकादमिक संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान किया जा सके।
4. समावेशी शिक्षा:
विविधता: उच्च शिक्षा संस्थानों में विविधता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि सभी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के छात्रों को समान अवसर मिल सके।
दिव्यांग छात्र: दिव्यांग छात्रों के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए !
5. स्वायत्तता और लचीलापन:
स्वायत्त संस्थान: उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक स्वायत्तता दी जानी चाहिए ताकि वे अपने पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों को विकसित कर सकें।
लचीले पाठ्यक्रम: छात्रों को अपने करियर के लक्ष्यों के अनुसार पाठ्यक्रम चुनने की अधिक स्वतंत्रता होनी चाहिए ।
6. विश्व स्तरीय शिक्षा:
अंतरराष्ट्रीय मानक: भारतीय विश्वविद्यालयों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए ।
विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग: भारतीय विश्वविद्यालय विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग करना चाहिए ताकि छात्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार किया जा सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए एक विस्तृत तंत्र की आवश्यकता होती है जिसमें नियामक समितियां भी शामिल हैं। यह सच है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कई नई नियामक संस्थाओं की स्थापना की जानी है, लेकिन यह प्रक्रिया समय लेने वाली होती है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत कुछ प्रमुख नियामक संस्थाएं जो स्थापित की जानी चाहिए हैं, उनमें शामिल हैं:
उच्च शिक्षा आयोग: यह एक एकल नियामक निकाय है जो उच्च शिक्षा के सभी पहलुओं को नियंत्रित करेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान परिषद : यह अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख संस्था है ।
राष्ट्रीय स्कूली शिक्षा बोर्ड यह स्कूली शिक्षा के लिए एक एकल बोर्ड होना चाहिए ।
यह उम्मीद की जाती है कि इन नियामक संस्थाओं के गठन से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्ष:
2025 तक, भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में एक व्यापक परिवर्तन देखने को मिलेगा। यह परिवर्तन छात्रों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करेगा और भारत को एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगा।
(लेखक पूर्व कुलपति कानपुर , गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर हैं)