जुबिली स्पेशल डेस्क
कमला हैरिस के ‘2024 के राष्ट्रपति अभियान’ का अंत तब हो गया जब डोनाल्ड ट्रंप ने उनको करारी शिकस्त दी।
अब सवाल है कि उनकी हार के क्या कारण रहे। जानकारों की माने तो जो बाइडेन की वजह से उनको हार का सामना करना पड़ा। ये हार वैसी ही थे जैसे इससे पहले 2016 में डेमोक्रेट उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन को भी ट्रंप से हार का सामना करना पड़ा था।
कमला हैरिस की हार के पीछे एक प्रमुख कारण राष्ट्रपति पद की दौड़ में उनका देर से शामिल होना भी रहा।
2024 में अमेरिकी चुनावों को लेकर जो बहस हो रही है, उसमें जो गलतियां जो बाइडेन ने की हैं, उनका असर उनके प्रशासन और पार्टी पर पड़ा है। कुछ प्रमुख गलतियों के बारे में बात करें तो:
अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ: बाइडेन के प्रशासन के दौरान, अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने बहुत बड़ी चुनौतियों का सामना किया है, जैसे कि महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी। इसने उनके समर्थन में कमी की है, और डोनाल्ड ट्रंप का इस मुद्दे पर आलोचना करना उनके लिए एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन गया है।
अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी: बाइडेन का अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी का निर्णय, जो कि एक अभूतपूर्व और असंगठित तरीके से हुआ, आलोचना का शिकार बना। इसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाइडेन के नेतृत्व पर सवाल उठाए और अमेरिका की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुँचाया।
हिमस्खलन का सामना: बाइडेन प्रशासन के तहत जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के प्रयासों को लेकर आलोचनाएँ बढ़ी हैं। उनका तरीके और निर्णयों पर कई बार सवाल उठाए गए हैं, जो उनकी लीडरशिप को कमजोर करते हैं।
मूल्य वृद्धि और महंगाई: अमेरिकी जनता ने महंगाई की बढ़ती दरों के कारण बाइडेन प्रशासन को नकारात्मक रूप से देखा। महंगाई, गैस की कीमतों में वृद्धि और खाद्य संकट ने बाइडेन के प्रशासन के खिलाफ जनता की नाराजगी बढ़ाई।
कमला हैरिस की भूमिका और नेतृत्व: बाइडेन की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भूमिका और नेतृत्व पर भी सवाल उठे हैं। कुछ लोगों ने उन पर पर्याप्त प्रभावी नेता के रूप में काम न करने का आरोप लगाया है, जिससे उनकी लोकप्रियता पर भी असर पड़ा है।
जहां एक ओर बाइडेन की गलतियां उनके खिलाफ खड़ी हो रही हैं, वहीं डोनाल्ड ट्रंप का ‘ट्रंप कार्ड’ एक शक्तिशाली राजनीतिक हथियार साबित हो रहा है। उनका मुद्दे पर आक्रामक रुख और अपनी अलग शैली ने उन्हें अमेरिकी राजनीति में एक मजबूत विरोधी बना दिया है।
इन सभी कारकों को देखते हुए, बाइडेन के नेतृत्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं और अगले चुनावों में उनका मुकाबला ट्रंप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।