जुबिली न्यूज डेस्क
भारतीय जनता पार्टी का सदस्यता अभियान सवालों के घेरे में आ गया है. दरअसल भाजपा ने सदस्यता अभियान में रेफरल कोड का नियम लागू किया है। इसके तहत पदाधिकारी को फॉर्म में अपना रेफरल कोड भरना होगा। इसके साथ नए सदस्य के मोबाइल नंबर पर आया ओटीपी भी फीड करना होगा। इससे फर्जीवाड़े की आशंका खत्म हो गई है, लेकिन टारगेट पूरा करने में बड़े नेताओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं। नेताओं ने इस टारगेट को पूरा करने के लिए ऐसा रास्ता अपनाया है, जिसके बाद पार्टी सवालों के घेरे में आ गई है।
बता दे कि इस टारगेट को पूरा करने के लिए बड़े नेताओं ने एजेंसियां हायर कर ली हैं जो 25 से 30 रुपये प्रति सदस्य की रेट पर इन नेताओं के रेफरल कोड पर सदस्य बना रही हैं। इसी तरह कुछ नेताओं ने अपने रेफरल कोड पर सदस्य बनाने के लिए बकायदा टीम बना दी है।
लखनऊ में बीजेपी के सदस्यता अभियान का पहला चरण 3 से 25 सितंबर तक चला था। इसमें कई पार्षद और बड़े नेता पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं से भी पिछड़ गए थे। फिर सदस्यता का दूसरा चरण 1 अक्टूबर से शुरू हुआ, जो 15 अक्टूबर तक चलेगा। इसमें बढ़त बनाने के लिए कई नेताओं ने एजेंसियां हायर कर ली है। एक नीजि मीडिया से बातचीत में लखनऊ के कई पार्षद, मंडल अध्यक्ष और पदाधिकारियों ने इसकी पुष्टि की।
कैंप का भी सहारा
बीजेपी की तरफ से कई वार्डों में सदस्यता के लिए कैंप भी लगाए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इन कैंपों में नए सदस्य बनाने में विधायक, सांसद, पार्षद और बड़े पदाधिकारियों के रेफरल कोड का इस्तेमाल हो रहा है। कैंप के बाद बाकायदा गिनती होती है कि किसके रेफरल कोड पर कितने सदस्य बनाए गए।
पद से लेकर टिकट तक पर असर
बड़े नेता अपने रेफरल कोड पर ज्यादा सदस्यता दिखाने के लिए यूं ही एजेंसियों को हायर नहीं कर रहे। कोड के जरिए होने वाली सदस्यता का पूरा लेखा-जोखा नमो ऐप पर दर्ज होता है। ऐसे में पार्टी में पद और टिकट मिलने में यह ब्योरा काफी अहम साबित होगा।लखनऊ में कई बीजेपी नेता अपने रेफरल कोड से नगर निगम, बिजली और स्वास्थ्य विभाग के आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से एकमुश्त फॉर्म भरवा रहे हैं। ये नेता आउटसोर्सिंग एजेंसी के संचालकों के जरिए कर्मचारियों की सदस्यता करवा रहे हैं।
फर्जी तरीके से बनाया जा रहा बीजेपी का सदस्य
इतना ही नहीं फर्जी तरीके से भी लोगों को सदस्य बनाया जा रहा है। पार्षद, मंडल अध्यक्ष और पदाधिकारी अपने जान-पहचान के लोगों को बिना बताए भाजपा का सदस्या बना रहे हैं। वे लोगों से बस इतना कह रहे हैं कि आप के नम्बर पर एक ओटीपी जाएगा बस आपको उसे बताना है. ऐसे में विश्वास पर लोग ओटीपी बता दे रहे हैं। बाद में पता चल रहा है कि वो बीजेपी के सदस्य बन गये। नेता अपनी टारगेट पूरा करने की होड़ में आम जनता से पूछ तक नहीं रहे हैं कि वो सदस्य बनना चाहते हैं या नहीं…
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किसके लिए कितना लक्ष्य
पदाधिकारी/जनप्रतिनिधि टारगेट
सांसद 20,000
विधायक 10,000
प्रदेश पदाधिकारी 1000
पार्षद 500
जिला पदाधिकारी, महानगर पदाधिकारी, मंडल अध्यक्ष, मोर्चा पदाधिकारी, बूथ अध्यक्ष समेत बाकी सक्रिय कार्यकर्ताओं को 100-100 सदस्य बनाने का टारगेट मिला है। यहां तक कि इन नेताओं के पत्नियों को भी 100-100 का टारगेट दिया गया था।