Friday - 20 September 2024 - 5:51 PM

क्या लैपटॉप से पड़ रहा मर्दानगी पर असर? युवाओं के लिए ये खबर है जरूरी

जुबिली न्यूज डेस्क 

बात काम की हो या जरूरी गैजेट की, लैपटॉप जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. यह तमाम काम चुटकियों में जरूर निपटाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आपकी मर्दानगी पर भी असर डालता है. जिन लड़कों की उम्र 30 साल के आसपास या उससे ज्यादा है, यह खबर उनके लिए है, क्योंकि उनकी मर्दानगी पर खतरा मंडरा रहा है. दरअसल, लैपटॉप से उनकी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं कैसे?

लैपटॉप का इस्तेमाल मर्दानगी  पर असर 

अब एक स्टडी में सामने आया है कि ज्यादा देर तक लैपटॉप इस्तेमाल करने से पुरुषों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. डेम हेल्थ से डॉ. रूबी यादव और डाइटिशियन कंसल्टेंट और डायबिटीज एजुकेटर कनिका मल्होत्रा ने इस मसले पर जानकारी दी. साथ ही, बताया कि इस खतरे से कैसे बचा जा सकता है.

डॉ. रूबी यादव ने बताया कि अगर आप भी काफी देर तक लगातार लैपटॉप इस्तेमाल करते हैं. खासकर उसे अपनी गोद में रखकर चलाते हैं तो इससे पुरुषों की फर्टिलिटी पर असर पड़ सकता है. उन्होंने बताया, ‘इस मामले को लेकर मिले नतीजे अभी तक पूरी तरह क्लियर नहीं हैं. इसके बावजूद 2024 में हुई एक रिसर्च में पता चला कि लैपटॉप और स्मार्टफोन से बनने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड से इनफर्टिलिटी यानी बांझपन बढ़ सकता है. लैपटॉप से निकलने वाली गर्मी और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड से हाइपरथर्मिया हो सकता है. दरअसल, तापमान में अचानक होने वाला इजाफा और ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस डीएन डैमेज कर सकता है. इससे स्पर्म की क्वालिटी पर काफी खराब असर पड़ता है.’

कनिका मल्होत्रा ने बताया कि गोद में रखकर लैपटॉप चलाने से अंडकोष का तापमान बढ़ने का खतरा रहता है. उन्होंने बताया कि शुक्राणु बनाने के लिए जिस तापमान की जरूरत होती है, वह शरीर के तापमान से थोड़ा कम होता है. ऐसे में अगर आप लैपटॉप काफी देर तक गोद में रखकर चलाते हैं तो अंडकोष के आसपास के हिस्सों का तापमान बढ़ सकता है. इससे स्पर्म काउंट और मोबिलिटी में कमी आ सकती है, जिससे फर्टिलिटी घटने का खतरा रहता है.’

हेल्थ रिपोर्ट्स और उनके आंकड़ों पर नजर डालें तो इनफर्टिलिटी एक प्रमुख मुद्दा बनता जा रहा है. लगभग 15 से 20% यंग कपल्स को गर्भधारण में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में उन कारणों पर विचार करना बेहद जरूरी है जो नपुंसकता का कारण बन रहे हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक साल 2005 की शुरुआत में किए गए अध्ययन में स्पर्म प्रोडक्शन में गिरावट देखी गई. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लैपटॉप, सेल फोन और लगातार बढ़ रहे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर डिपेंडेंसी को पाया गया.

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