जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में सोमवार को फुटबॉल की खुमारी में डूबती हुई नजर आई।
अरसे बाद केडी सिंह बाबू स्टेडियम एक बड़े फुटबॉल मैच के आयोजन का गवाह बना लेकिन इस दौरान मैदान के बाहर कुछ ऐसी गतिविधियां देखने को मिली जिसकी कल्पना किसी ने सपने में भी नहीं की थी।
90 के दशक में श्रीलंका के खिलाफ सचिन ने शतक लगाया था। तब सचिन और अजहर जैसे बड़े खिलाड़ियों को देखने के लिए दर्शन केडी सिंह बाबू स्टेडियम में खींचे चले आए थे, आज इसी केडी सिंह बाबू स्टेडियम में फुटबॉल मैच का आयोजन किया गया लेकिन मेहमान नवाजी के मामले में आयोजनकर्ता खरे नहीं उतरे है।
उमस भरी गर्मी में फुटबॉल मैच का आनंद लेने पहुंचे दर्शके पानी के लिए तरसते हुए नजर आए। इतना ही नहीं मैच के दौरन बिजली गुल होने की खबर आई। दर्शकों के साथ बेहद खराब बर्ताव किया गया। इस मैच कोदेखने के लिए समय से पहले दर्शक स्टेडियम पहुंचे लेकिन उनको स्टेडियम में एंट्री मारने के लिए काफीमेहनत करनी पड़ी। हालांकि ऐसा लग रहा यह फुटबॉल मैच नहीं बल्कि एक किसी राजनीति कार्यक्रम काआयोजन हो रहा था।
दरअसल मैदान पर जहां एक और मोहन बागान और ईस्ट बंगाल की टीम मैदान पर पसीना बहा रही थी तो दूसरी तरफ आयोजकों की बदइंतजामी इस मैच के रोमांच को काफी फीका जरूर कर दिया।
फुटबॉल को उत्तर प्रदेश के युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाने की कवायद के तहत देश के दिग्गज फुटबॉल क्लबों मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच साेमवार शाम यहां खेले जाने वाला मैच आयोजकों की बदइंतजामी की भेंट चढ़ता हुआ नजर आया।
चिर प्रतिद्धंदी मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच मैच यहां शाम साढ़े छह बजे से हजरतगंज स्थित केडी सिंह बाबू स्टेडियम पर खेला जाना था जिसको देखने के लिये नवाब नगरी के फुटबॉल प्रेमी शाम साढ़े चार बजे से ही यहां जमना शुरु हो गये थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस निशुल्क प्रदर्शनी मैच का उदघाटन करना था जिसके चलते पुलिस प्रशासन भी सक्रिय हो गया था।
स्टेडियम पर पार्किंग के लिये कोई स्थान निर्धारित नहीं होने के कारण वाहनो का प्रवेश शाम पांच बजे से ही निषेध कर दिया गया था।
मैच के बाहर फुटपाथ पर पुलिसकर्मियों ने अपनी अवैध वाहन पार्किंग बना ली और वाहन से आने वाले फुटबॉल प्रेमियों को बैरियर लगा कर रोक दिया गया जिससे बड़ी संख्या में दर्शक आयोजकों को कोसते हुये स्टेडियम के बाहर से ही घर वापस होने को मजबूर हुये।
बदइंतजामी का स्तर इस कदर था कि प्रेस प्रतिनिधियों के वाहनो को भी पुलिस अधिकारियों ने प्रवेश करने से रोक दिया और जब उनसे फुटपॉथ पर पार्क करने की मनुहार की गयी तो उनका जवाब था कि उन्हे साफ निर्देश मिले हैं कि उन्हे सिर्फ मुख्यमंत्री के लिये रास्ता साफ चाहिये और किसी भी वाहन का स्टेडियम अथवा फुटपाथ पर वाहन पार्क करना निषेध है।
स्टेडियम के भीतर भी हालात अप्रिय दिखे। मुकाबले में दर्शक जुटाने के लिये हालांकि पोस्टर बैनर पर खेल विभाग ने जम कर पैसे लुटाये लेकिन मैदान में प्रवेश करने से वंचित हुये खेल प्रेमी उन्हे कोसते नजर आये। यहां तक कि प्रेस दीर्घा के लिये भी कोई निर्धारित स्थान न होने से पत्रकारों ने भी दर्शकों के बीच बैठ कर मैच कवर किया
रोमांचक मुकाबले के गवाह बनने से चूके दर्शकों ने स्टेडियम के बाहर पुलिस प्रशासन और आयोजकों की जमकर आलोचना की।