Saturday - 26 October 2024 - 4:45 PM

जैव-क्रांति – बायो ई3 नीति

प्रो. अशोक कुमार

भारत सरकार ने ‘बायोटेक्नॉलॉजी फॉर इकॉनमी, एनवायरनमेंट एंड एंप्लॉयमेंट’ यानि बायो ई3 नीति के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है । यह फैसला बेहतर बायोमैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है। बायो ई3 योजना का लक्ष्य रिसर्च, नए बिज़नेस और इनोवेशन को बढ़ावा देना है। यह योजना पर्यावरण के अनुकूल विकास पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिससे रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

बायो ई3 नीति: एक संक्षिप्त परिचय

बायो ई3 नीति एक ऐसी नीति है जो जैव ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। “ई3” का मतलब है “तीन ई”: ऊर्जा (Energy), पर्यावरण (Environment) और अर्थव्यवस्था (Economy)।

इस नीति का मुख्य उद्देश्य है

• पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता कम करना: जैव ईंधन को पारंपरिक ईंधन के विकल्प के रूप में विकसित करके, देश की पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
• पर्यावरण संरक्षण: जैव ईंधन कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।
• ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना: जैव ईंधन के उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और किसानों की आय में वृद्धि होती है।

बायो ई3 नीति के प्रमुख बिंदु

• जैव ईंधन के प्रकार: इस नीति के तहत विभिन्न प्रकार के जैव ईंधन जैसे कि इथेनॉल, बायोडीजल और जैव सीएनजी को बढ़ावा दिया जाता है।
• उत्पादन और मिश्रण: जैव ईंधन का उत्पादन कृषि अपशिष्टों, जैविक पदार्थों और अन्य नवीकरणीय स्रोतों से किया जाता है। इसे पारंपरिक ईंधन के साथ मिलाकर उपयोग किया जाता है।
• लक्ष्य: इस नीति का लक्ष्य है कि एक निश्चित समय सीमा तक जैव ईंधन के मिश्रण को एक निश्चित प्रतिशत तक बढ़ाया जाए।
सब्सिडी और प्रोत्साहन: सरकार जैव ईंधन उत्पादकों को सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन प्रदान करती है ताकि उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके।
बायो ई3 नीति के लाभ
ऊर्जा सुरक्षा: पेट्रोलियम उत्पादों पर निर्भरता कम करके देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाया जाता है।
पर्यावरण संरक्षण: कार्बन उत्सर्जन को कम करके जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है।
स्वदेशी उत्पादन: जैव ईंधन का उत्पादन देश के भीतर ही किया जाता है जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है।
ग्रामीण विकास: जैव ईंधन के उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होते हैं और किसानों की आय में वृद्धि होती है।

बायो ई3 नीति और किसान

बायो ई3 नीति किसानों के जीवन में कई तरह से बदलाव ला सकती है। यह नीति किसानों को कई अवसर प्रदान करती है, साथ ही कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। आइए देखें कि यह नीति किसानों को कैसे प्रभावित कर सकती है:

सकारात्मक प्रभाव

• आय में वृद्धि: जैव ईंधन फसलों की खेती से किसानों को पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक आय प्राप्त हो सकती है। सरकार द्वारा दिए जाने वाले प्रोत्साहन और न्यूनतम समर्थन मूल्य भी किसानों की आय में वृद्धि करने में मदद कर सकते हैं।
• फसल विविधीकरण: किसान एक ही फसल पर निर्भर रहने के बजाय विभिन्न प्रकार की जैव ईंधन फसलों की खेती कर सकते हैं, जिससे जोखिम कम होगा।
• ग्रामीण विकास: जैव ईंधन उद्योग के विकास से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
• तकनीकी ज्ञान में वृद्धि: जैव ईंधन फसलों की खेती के लिए किसानों को नई तकनीकों के बारे में सीखना होगा, जिससे उनके ज्ञान में वृद्धि होगी।
चुनौतियाँ
• जमीन का सीमित होना: जैव ईंधन फसलों की खेती के लिए अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता होगी, जो कई किसानों के लिए एक चुनौती हो सकती है।
• सिंचाई की समस्या: कुछ जैव ईंधन फसलों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, जो सूखाग्रस्त क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के लिए एक समस्या हो सकती है।
• बाजार की अस्थिरता: जैव ईंधन के बाजार में अस्थिरता होती है, जिससे किसानों को कीमतों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
• तकनीकी ज्ञान की कमी: कई किसानों के पास जैव ईंधन फसलों की खेती के लिए आवश्यक तकनीकी ज्ञान की कमी होती है।
बायो ई3 नीति के पर्यावरणीय लाभ
• ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: जैव ईंधन जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करते हैं। जब जैव ईंधन जलाया जाता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, लेकिन पौधे प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।
• वायु प्रदूषण में कमी: जैव ईंधन जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम हानिकारक प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
• नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत: जैव ईंधन एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है, जिसका अर्थ है कि इसे लगातार पुन: उत्पन्न किया जा सकता है।
बायो ई3 नीति के पर्यावरणीय चुनौतियाँ
• जंगलों का कटाव: बड़े पैमाने पर जैव ईंधन उत्पादन के लिए जंगलों को साफ किया जा सकता है, जिससे जैव विविधता कम होती है और कार्बन सिंक कम हो जाता है।
• जल संसाधनों पर दबाव: जैव ईंधन फसलों की सिंचाई के लिए बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, जिससे जल संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है।
• मृदा क्षरण: लगातार एक ही प्रकार की फसल उगाने से मृदा की गुणवत्ता खराब हो सकती है और मृदा क्षरण हो सकता है।
• रसायनों का उपयोग: जैव ईंधन उत्पादन में अक्सर रसायनों का उपयोग किया जाता है, जो पर्यावरण को प्रदूषित कर सकते हैं।
• अन्य फसलों के लिए भूमि का कम होना: जैव ईंधन फसलों के लिए भूमि का उपयोग करने से खाद्य फसलों के लिए उपलब्ध भूमि कम हो सकती है, जिससे खाद्य सुरक्षा पर खतरा पैदा हो सकता है।
पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के उपायसतत जैव ईंधन उत्पादन: ऐसे जैव ईंधन का उत्पादन किया जाना चाहिए जो पर्यावरण के लिए हानिकारक न हो।
• गैर-खाद्य फसलों का उपयोग: खाद्य सुरक्षा को प्रभावित किए बिना जैव ईंधन उत्पादन के लिए गैर-खाद्य फसलों और कृषि अपशिष्टों का उपयोग किया जाना चाहिए।
• जैव विविधता का संरक्षण: जैव ईंधन उत्पादन के दौरान जैव विविधता का संरक्षण किया जाना चाहिए।
• जल संरक्षण: जैव ईंधन उत्पादन में पानी के उपयोग को कम करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।
• मृदा संरक्षण: मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए उचित खेती के तरीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।

(पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय)

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com