जुबिली न्यूज डेस्क
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सीएम सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने की मंज़ूरी दे दी है. कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) में कथित तौर पर अपनी पत्नी पार्वती बी.एम. को समय से पहले ज़मीन आवंटित करने का आरोप है.
राजभवन की ओर से अधिसूचना जारी किए जाने के तुरंत बाद सिद्धारमैया ने कैबिनेट सहयोगियों, शीर्ष पुलिस अधिकारियों और ख़ुफ़िया अधिकारियों के साथ बैठक की.
फ़िलहाल यही माना जा रहा है कि सिद्धारमैया मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाक़ात के बाद कांग्रेस आला कमान ने सिद्धारमैया का समर्थन भी किया था.
कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने बीबीसी हिंदी से कहा, “ये राजनीति ये प्रेरित है.” हरिप्रसाद, सिद्धरमैया के आलोचक माने जाते हैं. उन्होंने कहा “वो लोग ग़रीबों को गारंटी देने वाले पिछड़े वर्ग के एक व्यक्ति को परेशान करना चाहते हैं.”
क्या है पूरा मामला?
इस मामले के तीनों शिकायतकर्ताओं प्रदीप कुमार एस.पी., टी.जे. अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा को लिखे एक साझा पत्र में राज्यपाल के विशेष सचिव ने कहा है, “राज्यपाल के निर्देशानुसार, मैं याचिकाओं में दिए गए कथित अपराधों के लिए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 17 के तहत मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के ख़िलाफ़ अभियोजन की मंजूरी के अनुरोध पर संबंधित ऑथोरिटी के फ़ैसले की प्रति संलग्न कर रहा हूं.”
तीनों ही शिकायतों में एक बात समान थी कि केसारे गांव की ज़मीन के बदले सिद्धारमैया की पत्नी को मैसूर के विजयनगर लेआउट में 14 जगहें दी गई थीं. केसारे गांव में उनकी 3.16 एकड़ जमीन थी, जिस पर एमयूडीए ने अनाधिकृत रूप से कब्ज़ा कर लिया था.