जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर पहली प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर जारी बयान में मायावती ने मोदी सरकार को सलाह देते हुए जांच की मांग की है.
बसपा चीफ ने लिखा- पहले अदाणी ग्रुप व अब सेबी चीफ सम्बंधी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट फिर से जबरदस्त चर्चाओं में है तथा आरोप-प्रत्यारोप का दौर इस हद तक जारी है कि इसे देशहित को प्रभावित करने वाला बताया जा रहा है. अदाणी व सेबी द्वारा सफाई देने के बावजूद मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा बल्कि उबाल पर है.
उन्होंने लिखा- वैसे यह मुद्दा अब सत्ता व विपक्ष के वाद-विवाद से परे केन्द्र की अपनी साख व विश्वसनीयता को भी प्रभावित कर रहा है, जबकि केन्द्र सरकार को अब तक इसकी उच्च-स्तरीय जाँच अर्थात् जेपीसी या जुडिशियल जाँच जरूर बैठा देनी चाहिये थी तो यह बेहतर होता.
अदाणी आठ कंपनियों के शेयरों में गिरावट
दूसरी ओर हिंडनबर्ग की नई रिपोर्ट आने के बीच अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों में से आठ कंपनियों के शेयर सोमवार को गिरावट के साथ बंद हुए. इस गिरावट के बीच समूह की कंपनियों का बाजार मूल्यांकन सामूहिक रूप से 22,064 करोड़ रुपये घट गया. समूह की कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 17 लाख करोड़ रुपये है.
रिपोर्ट में किया गया ये दावा
हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था. उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अदाणी ने पैसों की हेराफेरी करने तथा समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था. विनोद अदाणी, अदाणी समूह के चेयरपर्सन गौतम अदाणी के बड़े भाई हैं.
अदाणी समूह ने सेबी प्रमुख के साथ किसी भी तरह के वाणिज्यिक लेन-देन से इनकार किया है. संपत्ति प्रबंधन इकाई 360वन (जिसे पहले आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट कहा जाता था) ने अलग से बयान में कहा कि बुच तथा उनके पति धवल बुच का आईपीई-प्लस फंड 1 में निवेश कुल निवेश का 1.5 प्रतिशत से भी कम था और उसने अदाणी समूह के शेयरों में कोई निवेश नहीं किया था.