जुबिली न्यूज डेस्क
सावन महीने में कांवड़ यात्रा से पहले उत्तर प्रदेश की मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस का नया आदेश विवादों में घिर गया है. पुलिस ने मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में सावन मे होने वाले कांवड़ यात्रा के रूट में मौजूद होटल ढाबे या ठेले और जितनी भी खानपान की दुकानें हैं, हर किसी को उसके मालिक या काम करने वालों का नाम लिखने का निर्देश दिया है.
पुलिस के मुताबिक़ यह निर्देश कांवड़ियों को भ्रम से बचाने और बाद में क़ानून व्यवस्था की कोई परेशानी से बचने के लिए दिया गया है.अब इस आदेश पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य पवन खेड़ा की प्रतिक्रिया सामने आई है.
अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए खेड़ा ने कहा, “एक नया फ़रमान आया है कि कांवड़ यात्रा के रास्ते में जितने भी फल सब्ज़ी बेचने वाली रेहड़ियां हैं, स्टॉल हैं या खाने के ढाबे और रेस्तराओं को अपना नाम बोर्ड पर लिखना होगा. ऐसा करने के पीछे मंशा है कि कौन हिंदू है, कौन मुसलमान है. हो सकता है कि इनकी मंशा में दलित भी शामिल हों.”
अपने बयान में पवन ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान ये जो किया जा रहा है इसके पीछे मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का सामान्यीकरण करना है. किसी के लिए भी यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
पवन खेड़ा ने अपने एक्स हैंडल पर यह भी लिखा कि जो लोग यह तय करना चाहते थे कि कौन क्या खाएगा, अब वो यह भी तय करेंगे कि कौन किस से क्या ख़रीदेगा?पवन ने कहा, “भारत के बड़े मीट एक्सपोर्टर हिंदू हैं. क्या हिंदुओं द्वारा बेचा गया मीट दाल भात बन जाता है? ठीक वैसे ही क्या किसी अल्ताफ़ या रशीद द्वारा बेचे गए आम अमरूद गोश्त तो नहीं बन जाएंगे.”