Saturday - 2 November 2024 - 12:30 PM

संसद में राहुल के भाषण पर इतना बवाल क्यों?

यशोदा श्रीवास्तव

हिंदू और हिंदुत्व एक बार फिर राजनीति के मकड़जाल में है। इस मुद्दे को लेकर देश भर में तूफान खड़ा हो गया है। राहुल गांधी का पुतला कोने कोने में फूंका जा रहा है।

राहुल की ग़लती यह थी कि उन्होंने भरी संसद में ऐसे हिंदू और हिंदुत्व के खिलाफ जुबान खोल दी जो इस नाम का उपयोग नफरत और हिंसा फैलाने में करते हैं।

जाहिर है उन्होंने न तो हिंदू समाज पर अंगुली उठाई और न हिंदुत्व पर लेकिन इस शब्द के सहारे राजनीति करने वालों को यह बुरा लगा और उन्होंने इसे लपक कर हिंदू समाज के अपमान से जोड़ लिया।

संसद में राहुल के इस कथ्य के बीच प्रधानमंत्री स्वयं खड़े हो गए और इसे गंभीर बताते हुए चैलेंज की मुद्रा में कहा कि यह हिंदू समाज का अपमान है। अब जब नेता सदन किसी मुद्दे को कैच कर लिए हों तो बाकी सदस्यों का खामोश रहना कैसे संभव था। संसद में दोनों पक्षों की ओर से खूब हो हल्ला मचा।

लेकिन जिसने भी टीवी स्क्रीन पर,शोसल मीडिया पर संसद की कार्रवाई देखी होगी,सबने देखा और सुना होगा कि जब प्रधान मंत्री राहुल के इस कथ्य पर खड़े होकर अपने चिरपरिचित अंदाज में इसे संपूर्ण हिंदू समाज से जोड़ने की कोशिश की तभी बहुत ही प्रभावशाली और आक्रामक ढंग से राहुल ने प्रधानमंत्री की बात काटते हुए कहा कि नहीं,मोदी जी हिंदू समाज नहीं हैं,भाजपा हिंदू समाज नहीं है,आर एस एस हिंदू समाज नहीं है।

इसी के साथ उन्होंने हिंदू और हिंदुत्व की छोटी सी व्याख्या भी की।
जाहिर है हिंदू और हिंदुत्व ही भाजपा के राजनीति का मूल आधार है। और वे जब मंदिर मस्जिद की बात करते हैं तो यह भी हिंदुत्व का ही एक चैप्टर है।

हाल ही संपन्न लोकसभा के चुनाव में भाजपा की ओर से यही सब तो चला। कोई बता दे कि देश भर में कहीं भी भाजपा के चुनाव प्रचार में जनसरोकार का मुद्दा उठाया गया हो। “म” शब्द पर तो खूब बोला गया जैसे मीट,मटन,मुर्गा,मंगल सूत्र आदि! म से मणिपुर भी होता है,मंहगाई भी होता है,क्या इस पर भी कभी बोला गया?

बताने की जरूरत नहीं कि प्रधानमंत्री जब अपने भाषणों में “मुजरा और ज्यादा बच्चों वालों” जैसे वाक्य का इस्तेमाल करते हैं तो यह किस जाति के लोगों पर इशारा होता है और तब इतना हो हल्ला नहीं मचता।

राहुल गांधी का परिवार निश्चित ही एक हिंदू हैं,राहुल स्वयं भगवान शिव के भक्त हैं,हाथ में रक्षा सूत्र बांधते हैं, लेकिन चूंकि वे एक क्रिश्चियन मां के बेटे हैं इसलिए उन पर हिंदू विरोधी का तोहमत लगाना आसान होता है। हालांकि भाजपा के हिंदुत्व की परिभाषा में वही हिंदू आते हैं जो सिर्फ उनकी सुनते हैं,उनकी वाली करते हैं और उन्हें ही वोट देते हैं। इनसे कौन पूछे कि आनन फानन में अधूरे राम मंदिर के उद्घाटन के पीछे क्या था?

 

अयोध्या में सड़क से लेकर मंदिर तक सब में छेद होना पाया गया। जाहिर है इसके पीछे लोकसभा चुनाव में फायदा की ही मंशा थी। अब ये जब अयोध्या में ही हार गए तो देखा गया किस तरह वहां के विजयी सांसद अवधेश प्रसाद समेत अयोध्या वासियों के ही खिलाफ शोसल मीडिया पर अभियान छेड़ दिया गया।

यह सब भाजपा समर्थकों ने ही किया लेकिन किसी भाजपाई की ओर से यह नहीं कहा गया कि अरे भाई अवधेश प्रसाद भी तो हिंदू ही हैं।

कायदे से देखा जाय तो जब राहुल गांधी के हिंदू वाले वाक्य को संसद की कारर्वाई से ही आउट कर दिया तब इस मुद्दे को कायम रखने की जरूरत नहीं है बावजूद इसके भाजपा इसे राष्ट्रव्यापी मुद्दा बनाने की कोशिश में है,यह जानते हुए कि हिंदू और हिंदुत्व के मसले पर भाजपा जनता द्वारा ही खारिज की जा चुकी है।

संसद में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का भाषण कि हर दो में एक हिंदू भाजपा को वोट नहीं दिए,काफी मायने रखते हैं। यही नहीं हिंदुत्व को लेकर महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे से कट्टर कोई नहीं है,उन्होंने साफ कहा कि राहुल गांधी हिंदू और हिंदुत्व के खिलाफ नहीं उन्होंने इस शब्द के दुरपयोग पर बोला है।

राष्ट्रपति के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का मायने बहुत होता वह भी तब जब प्रधानमंत्री बोल रहे हों लेकिन उन्होंने जब नेता प्रतिपक्ष को मंद बालक कहा तब उनके भाषण की गंभीरता तार तार हो गई। तंज तो कांग्रेस के 99 सीट पाने पर भी कसा गया लेकिन वे यह भूल गए कि इसी संसद में भाजपा के कभी दो सांसद ही थे।

Radio_Prabhat
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