Monday - 28 October 2024 - 7:31 AM

अखिलेश ने किया MODI पर तंज, बोले-जो किसी को लाने का दावा करते थे, वह खुद किसी के सहारे के लाचार

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। संसद सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार घमासान देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर कल राहुल गांधी विपक्ष के नेता के तौर पहली बार बोलते हुए बीजेपी पर जोरदार हमला बोला।

आलम तो ये रहा कि राहुल गांधी के भाषण के दौरान मोदी, शाह और राजनाथ जैसे नेताओं को बीच में बोलने पर मजबूर होना पड़ा है।

राहुल गांधी के बाद मंगलवार को अखिलेश यादव की बारी आई तो उन्होंने मोदी सरकार को अपने निशाने पर लिया है और जोरदार प्रहार किया है। उन्होंने मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि पहली बार हारी हुई सरकार विराजमान है।  उन्होंने ने कहा कि संविधान रक्षकों की जीत हुई है।  मैं कहना चाहता हूं कि देश किसी की महत्वाकांक्षा से नहीं चलेगा।लोकसभा में यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा कि हुजूर-ए-वाला आज तक खामोश बैठे इसी गम में, महफिल लूट ले गया कोई जबकि सजाई हमने। 

अखिलेश यादव ने कहा कि इस चुनाव में सांप्रदायिक राजनीति की हार हुई है। सरकार कहती है कि पांचवी अर्थव्यवस्था बन गई है, लेकिन सरकार क्यों ये छुपाती है कि प्रति व्यक्ति आय किस स्थान पर पहुंची है। हम हंगर इंडेक्स पर कहां खड़े हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि 15 अगस्त का दिन देश की आजादी का दिन है तो 4 जून सांप्रदायिक राजनीति से आजादी का दिन है।

इस चुनाव ने तोड़ने वाली राजनीति को तोड़ दिया और जोड़ने वाली राजनीति की जीत हुई है। हम मानते हैं कि संविधान ही संजीवनी है और संविधान रक्षकों की जीत हुई।

ये देश किसी की व्यक्तिगत आकांक्षा से नहीं, जन-आकांक्षा से चलेगा. मतलब अब मनमर्जी नहीं, जनमर्जी चलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्रीजी कहते हैं कि पांचवी बड़ी इकोनॉमी बनाएंगे लेकिन पर कैपिटा इनकम कहां है।

उन्होंने यूपी की चर्चा करते हुए कहा कि जहां से प्रधानमंत्री जी आते हैं, वहां की सरकार कह रही है कि 3 ट्रिलियन इकोनॉमी बनाएंगे। इसके लिए 35 परसेंट ग्रोथ रेट चाहिए जो मुझे नहीं लगता कि यूपी हासिल कर पाएगा।

उन्होंने कहा कि जनता का जागरण काल आ गया है। उन्होंने कहा कि एक जीत और हुई है। अयोध्या की जीत का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि हम तो बचपन से यही सुनते आए हैं- होइहीं सोई जो राम रची राखा। ये है उसका फैसला जिसकी लाठी में नहीं होती आवाज, जो करते थे उसको लाने का दावा, वो खुद किसी के सहारे के हैं लाचार. उन्होंने ‘हम अयोध्या से लाए हैं उनके प्रेम का पैगाम…’ कविता भी सुनाई।

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