जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव खत्म हुए काफी समय हो गया है। एनडीए की सरकार बन गई है लेकिन बीजेपी अपने बलबूते पर सरकार बनाने में पूरी तरह से फेल रही है क्योंकि उसे बहुमत नहीं मिला और वो 250 से कम सीट ही जीत सकी। इस वजह से उसे नीतीश कुमार और नायडू की जरूरत पड़ी।
इन दोनों की मदद से मोदी तीसरी बार पीएम बन गए लेकिन संसद में उनकी स्थिति पहले से ज्यादा कमजोर हो गई है। बीजेपी को लोकसभा चुनाव में कई राज्यों में उसे नुकसान उठाना पड़ा। उनमें यूपी में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है जहां पर बीजेपी पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी।
बीजेपी जहां 2019 में अकेले 62 सीटें वाली पार्टी महज 33 सीटों पर आकर रह गई जबकि कांग्रेस सपा का गठबंधन ने बाजी मार ली। बीजेपी के इस तरह के प्रदर्शन की किसी ने उम्मीद नहीं लगायी थी लेकिन अब हार का पोस्टमाटम हो चुका है और हार के 12 कारण भी सामने आ गए है।
दरअसल बीजेपी की ओर से यूपी को लेकर जिस समीक्षा रिपोर्ट सामने आई जिसमें हार की वजह को बताया गया है। इस रिपोर्ट को 40 टीमों ने 78 लोकसभा सीटों पर जाकर सूचना के आधार पर तैयार किया गया है। इस दौरान करीब 40,000 कार्यकर्ताओं से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इस रिपोर्ट को बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारी में पेश किया जायेगा।
- ऐसे तो हार के कई कारण है लेकिन संविधान संशोधन को लेकर हुई बयानबाजी ने बीजेपी को बड़ा नुकसान पहुंचाया।
- पेपर लीक का मामला विपक्ष ने खूब उठाया, उस वजह से बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ।
- सरकार विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मामला भी खूब उछला उस वजह से इसका असर चुनाव पर देखने को मिला।
- कई जगहों पर पार्टी के अंदर असंतोष की भावना भी हार का कारण बनी। सरकारी अधिकारियों का बीजेपी कार्यकर्ताओं को सहयोग नहीं मिलना।
- वहीं बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम हटाए गए।
- टिकट वितरण में जल्दबाजी के चलते स्थानीय नेताओं में उत्साह की कमी देखने को मिली। इसके साथ ही ठाकुर
- मतदाता को बीजेपी से दूर होना। इसके अलावा
- पिछड़ों में कुर्मी, कुशवाहा, शाक्य का भी झुकाव नहीं रहा। इसका सीधा फायदा कांग्रेस और सपा को पहुंचा। वहीं बसपा के प्रत्याशियों ने भी बीजेपी का वोट काटा है।