Monday - 28 October 2024 - 9:58 PM

कौन हैं लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी? नए सेना प्रमुख पर एक नज़र

जुबिली स्पेशल डेस्क

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार (30, जून) को नए सेना प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाल लिया है। उन्हें ये जिम्मेदारी जनरल मनोज सी पांडे के स्थान पर दी गई है।

बता दें कि इससे पहले वो उप सेना प्रमुख के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। सरकार ने 11 जून को लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को नए सेना प्रमुख के तौर पर जिम्मेदारी सौंपने का ऐलान किया था।

उनके बारे में एक नजर

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी का जन्म एक जुलाई 1964 को हुआ था और 1984 को भारतीय सेना की इन्फैंट्री (जम्मू और कश्मीर राइफल्स) में कमीशन मिला था। उनके करियर की बात की जाये तो लगभग 40 सालों के करियर के दौरान वभिन्न कमानों, स्टाफ, प्रशिक्षण संबंधी और विदेशी नियुक्तियों में अपना योगदान देते रहे हैं।

इसके साथ ही रेजिमेंट (18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स), ब्रिगेड (26 सेक्टर असम राइफल्स), महानिरीक्षक, असम राइफल्स (पूर्व) और 9 कोर की कमान शामिल हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने सेना उपप्रमुख के रूप में नियुक्ति से पूर्व 2022-2024 तक महानिदेशक इन्फैंट्री और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (मुख्यालय उत्तरी कमान) सहित महत्वपूर्ण पदों पर अपना अहम योगदान दे चुके हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी इसी साल 15 फरवरी को उप सेना प्रमुख नियुक्त किए गए थे। उनके बारे में कहा जाता है वो चीन और पाकिस्तान दोनों से मिलने वाली चुनौतियों को जानते हैं और गहरी समझ रखते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है कि उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफके रूप में अपने दो साल तक जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। ऐसे में चीन और पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने का हुनर रखते हैं।

जहां तक उनके अध्ययन की बात की जाये तो उन्होंने सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज के पूर्व छात्र लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज, महू में भी पढ़ाई की है।

इतना ही नहीं उनको लेफ्टिनेंट जनरल को यूएसएडब्ल्यूसी, कार्लिस्ले, यूएसए में प्रतिष्ठित एनडीसी समकक्ष कोर्स में ‘विशिष्ट फेलो’ से सम्मानित किया जा चुका है। उनके पास दो स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त है, जिसमें वो रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम फिल और सामरिक अध्ययन एवं सैन्य विज्ञान शामिल है। उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक (पीवीएसएम), अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) और तीन जीओसी-इन-सी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है।

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