जुबिली स्पेशल डेस्क
लोकसभा स्पीकर पद को लेकर अब खुलकर रार देखने को मिल रही है क्योंकि विपक्ष और सरकार में सहमति नहीं बन सकी है। इस वजह से स्पीकर पद को लेकर अब चुनाव होगा।
एनडीए की तरफ से ओम बिरला ने नामांकन दाखिल कर दिया है तो उनका मुकाबला विपक्ष की तरफ से खड़े हुए के सुरेश से होगा।
इसके साथ ही ये पहला मौका है जब स्पीकर पद के लिए चुनाव कराया जायेगा। भारतीय राजनीति में अभी तक सत्ता पक्ष और विपक्ष की सर्वसम्मति से स्पीकर चुन लिया जाता था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है और परंपरा टूट गई। विपक्ष की तरफ से के सुरेश को उम्मीदवार बनाया गया है।
शुरुआत जानकारी के अनुसार लोकसभा स्पीकर को लेकर एनडीए और विपक्ष के बीच बात बन गई और ओम बिरला के नाम पर सभी तैँयार थे लेकिन राहुल गांधी के बयान पर पूरा मामला पलट गया।
राहुल गांधी ने कहा कि विपक्ष के पास राजनाथ सिंह का कॉल आया था. उन्होंने कहा था कि स्पीकर पद पर विपक्ष को समर्थन करना चाहिए और एक राय बनानी चाहिए। हमने कहा कि हम स्पीकर का समर्थन करेंगे, लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कहा था कि मल्लिकार्जुन खडग़े को कॉल बैक करेंगे। लेकिन वो कॉल अभी तक नहीं आया। मोदी कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। अगर डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को मिलेगा, तब ही हम समर्थन करेंगे।
उनके राजनीति करियर की बात करे तो वो आठ बार सांसद रह चुके हैं। केसुरेश 1989, 1991, 1996, 1999, 2009, 2014, 2019, 2024 में सांसद रह चुके हैं और वो भारतीय राजनीति के जाना-माना चेहरा माने जाते हैं। के सुरेश केरल की मावेलिक्कारा सीट से कांग्रेस सांसद हैं।
केंद्रीय मंत्री भी रह चुके है। मौजूदा दौर में वो काफी अनुभवी है लेकिन इसके बावजूद उनके नाम पर एक राय नहीं बन सकी है। विपक्ष चाहता था कि वो प्रोटेम स्पीकर चुने जाये लेकिन ऐसा नहीं हो सका और इस वजह से विपक्ष नाराज है।
के सुरेश 1989 में पहली बार सांसद चुने गए थे. 2009 में वे कांग्रेस संसदीय दल के सचिव बने. मनमोहन सरकार में के सुरेश अक्टूबर 2012 से 2014 तक केंद्र में मंत्री रहे। हालांकि ओम बिरला के मुकाबले वो काफी कमजोर है क्योंकि सत्ता पक्ष के पास अच्छा संख्या बल है जिस वजह से स्पीकर के तौर पर उनकी दावेदारी कमजोर बतायी जा रही है।