Monday - 28 October 2024 - 12:06 PM

प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने के पीछे की क्या है असली वजह?

जुबिली स्पेशल डेस्क

लोकसभा चुनाव 2024 में भले ही कांग्रेस सत्ता से दूर रह गई हो लेकिन देश की सबसे पुरानी पार्टी एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ी होती हुई नजर आ रही है।

पिछले दस सालों से सत्ता से दूर रही कांग्रेस अब 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर को पलट कर रख दिया और 99 सीट जीतकर एक बार ये बता दिया है कि कांग्रेस अभी खत्म नहीं हुई और अब जनता अब भी उसे प्यार करती है।

बीजेपी पूरे चुनाव में 400 का नारा बुलंद कर रही थी लेकिन जनता ने उसे सिर्फ 240 सीटों पर रोक दिया है। इससे साफ पता चल रहा है कि देश में अब मोदी लहर सिर्फ नाम की है और गठबंधन सरकार बनना भी इसी तरफ इशारा कर रही है। कल तो जो सरकार अपने अकेले कोई भी फैसला लेती थी लेकिन मौजूदा वक्त में अब उसके लिए गठबंधन सरकार चलाना सबसे बड़ी चुनौती होगी। इस सब के बीच राहुल गांधी ने अकेले ही मोदी सरकार को चुनौती दी है।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस को नई जान दी और उसका नतीजा ये हुआ कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में बुरी हार झेलनी वाली कांग्रेस पार्टी इस बार 99 सीट जीतकर अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एनडीए को चुनौती दे डाली है। राहुल गांधी ने दो जगह से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगह से बड़ी जीत दर्ज की।

अब राहुल गांधी वायनाड की सीट छोडऩे जा रहे हैं और रायबरेली की सीट को बरकरार रखेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ेंगे जबकि रायबरेली से सांसद बने रहेंगे।

उन्होंने यह भी कहा कि गांधी परिवार से ही प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेंगी। कांग्रेस का ये बड़ा ऐलान विपक्ष को परेशान जरूर कर सकता है लेकिन इसके पीछे कांग्रेस की बड़ी रणनीति है।

दरअसल कांग्रेस चाहती है कि साउथ इंडिया में उसकी पकड़ बनी रहे। साल 2014 चुनाव में वायनाड की सीट ने राहुल गांधी को सांसद बनाया था और कांग्रेस चाहती है कि ये सिलसिला आगे भी जारी रहे लेकिन अंतर सिर्फ ये रहेगा कि इस बार प्रियंका गांधी वहां से चुनाव लड़ेंगी।

PHOTO : SOCIAL MEDIA

फ्लैश बैक में जायेंगे तो राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए और उस दौरान भी वायनाड से जीत मिली थी और संसद भेजा था। साल 2014 में कांग्रेस ने 44 सीट ही जीती थी और उसमें से 19 सीटें साउथ इंडिया में जीत मिली थी। 1977 का लोकसभा चुनाव याद करिये जब कांग्रेस 154 सीट जीत थी और 93 सीटें कांग्रेस पार्टी को साउथ इंडिया से ही मिली थी। उस दौर में इंदिरा गांधी को चुनाव में हार मिली थी लेकिन साउथ से ही इंदिरा गांधी संसद पहुंची थी। कर्नाटक की चिकमगलूर सीट से इंदिरा गांधी सांसद बनी थीं।

1999 के लोकसभा चुनाव से पहले सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन गईं। संसद पहुंचने के लिए दो सीटें तलाशी गई थी। पहली सीट उत्तर प्रदेश की अमेठी और दूसरी कर्नाटक की बेल्लारी थी। दोनों जगहों पर उनको जीत मिली थी लेकिन बाद में सोनिया गांधी ने बेल्लारी से इस्तीफा दे दिया था।  अब कांग्रेस एक बार फिर उसी इतिहास को दोहरा रही है और आंकड़े भी इस बात की तरफ इशारा कर रहे हैं कि कांग्रेस के लिए क्यों इतना ज्यादा अहम है साउथ इंडिया।

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