जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। बीजेपी और आरएसएस के रिश्तों में दरार आती दिख रही है। दरअसल हाल के दिनों में बीजेपी ने आरएसएस से दूरी बना ली। इतना ही नहीं बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि आरएसएस के एक सामाजिक संगठन है, जबकि बीजेपी राजनीतिक दल है। अब हम आगे बढ़ चुके हैं।
पहले से ज्यादा सक्षम हो चुके हैं. ऐसे में अब आरएसएस की जरूरत उतनी नहीं है। इसके बाद से लग रहा था कि बीजेपी और आरएसएस के रास्ते अलग-अलग हो गए है लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया और अब सवाल उठ रहा है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को अकेले फैसला लेना उसकी हार का बड़ा कारण तो नहीं है। बीजेपी के कमजोर प्रदर्शन पर आरएसएस ने बड़ा बयान दिया था।
आरएसएस ने भी बीजेपी की हार का कारण भी गिना डाला है।आरएसएस से जुड़ी पत्रिका ऑर्गनाइजर में संगठन के सदस्य रतन शारदा के लेख में चुनाव नतीजों को बीजेपी नेताओं के लिए अति आत्मविश्वासी बताया गया है।कहा गया, ”2024 के आम चुनावों के नतीजे अति आत्मविश्वासी बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए एक वास्तविकता के रूप में सामने आए। उन्हें एहसास नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 400 पार का आह्वान उनके लिए एक लक्ष्य और विपक्ष को चुनौती देने जैसा था।
” लेख में कहा गया कि कोई भी लक्ष्य मैदान पर कड़ी मेहनत से हासिल होता है। न कि सोशल मीडिया पर पोस्टर और सेल्फी शेयर करने से होता है। चूंकि वे अपने बुलबुले में खुश थे। नरेंद्र मोदी के नाम की चमक का आनंद ले रहे थे, इसलिए वे सडक़ों पर आवाज नहीं सुन रहे थे। ये चुनावों के परिणाम कई लोगों के लिए सबक है।
2024 के लोकसभा चुनाव का परिणाम इस बात का संकेत है कि बीजेपी को अपनी राह में सुधार करने की जरूरत है। कई कारणों से नतीजे उसके पक्ष में नहीं गए। बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी सिर्फ 240 सीटें ही जीत सकी।
हालांकि इसके बावजूद एनडीए ने अपनी सरकार बना ली और मोदी पीएम बन गए क्योंकि एनडीए के पास 293 सीटें मिली जबकि इंडिया गठबंधन 234 पर सिमट गया। कहा जा रहा है कि एनडीए की सरकार भले ही चल रही हो लेकिन कमजोर सरकार है और जब तक नीतीश कुमार और नायडू का साथ मिल रहा है तब तक ये सरकार चल रही है।