Monday - 28 October 2024 - 5:29 PM

भारत में शिक्षकों की रिक्तियों की संख्या –विश्व गुरु की ओर बढ़ते कदम

अशोक कुमार

भारत में शिक्षकों की रिक्तियों की संख्या का कोई एक निश्चित आंकड़ा नहीं है, क्योंकि यह लगातार बदलता रहता है।
लेकिन, कुछ रिपोर्टों और अध्ययनों से हमें अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है:

स्कूलों में

• 2020: पीआरएस लेगिटिमेटेड लीड्स द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में सरकारी स्कूलों में लगभग 10 लाख शिक्षकों की कमी थी।
द इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में अकेले 80,000 शिक्षकों के पद खाली थे। ‘समाचार पत्र’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में 15,000 से अधिक प्राथमिक शिक्षकों के पद खाली थे।
कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में:
• 2019: ‘ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी फेडरेशन ऑफ टीचर्स एसोसिएशन’ (AIUFTA) के अनुसार, भारत के विश्वविद्यालयों में लगभग 40% शिक्षक पद खाली थे।
• 2022: ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के तकनीकी संस्थानों में लगभग 25% शिक्षक पद खाली थे।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल अनुमान हैं, और वास्तविक संख्या भिन्न हो सकती है।
शिक्षकों की कमी कई कारकों के कारण है, जिनमें शामिल हैं:
• सेवानिवृत्ति: बड़ी संख्या में शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं, और उन्हें बदलने के लिए पर्याप्त नए शिक्षक नहीं हैं।
• अवैतनिक पद: कई शिक्षक पद कम वेतन और खराब कामकाजी परिस्थितियों के कारण खाली रह जाते हैं।
• दूरदराज के क्षेत्र: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षक पदों को भरना मुश्किल हो सकता है।
• अन्य अवसर: शिक्षण के लिए योग्य कई लोग बेहतर वेतन और अवसरों वाले अन्य क्षेत्रों में काम करना पसंद करते हैं।
शिक्षकों की कमी का भारतीय शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
इससे बड़ी कक्षाएं, कम शिक्षण समय और छात्रों को कम व्यक्तिगत ध्यान मिलता है।
यह सरकार और शिक्षा संस्थानों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, जिसके लिए तत्काल समाधान की आवश्यकता है।
शिक्षकों की कमी को कम करने के लिए कुछ संभावित समाधान:
• शिक्षकों के वेतन और भत्तों में वृद्धि: यह शिक्षण को एक अधिक आकर्षक पेशा बनाने में मदद करेगा और अधिक लोगों को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
• बेहतर कामकाजी परिस्थितियां: सरकार को शिक्षकों के लिए बेहतर कामकाजी परिस्थितियां प्रदान करनी चाहिए, जिसमें बेहतर बुनियादी ढांचा, संसाधन और सहायता शामिल है।
• ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन: ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों को आकर्षित करने के लिए सरकार वित्तीय प्रोत्साहन और अन्य लाभ प्रदान कर सकती है।
• शिक्षक शिक्षा में सुधार: शिक्षक शिक्षा कार्यक्रमों को अधिक कठोर और व्यावहारिक बनाया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शिक्षक छात्रों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए तैयार हैं।
• शिक्षण सहायकों का उपयोग: शिक्षण सहायकों का उपयोग करके शिक्षकों के काम का बोझ कम किया जा सकता है, जिससे वे छात्रों को अधिक व्यक्तिगत ध्यान दे सकें।
यह एक जटिल समस्या है जिसके लिए कई समाधानों की आवश्यकता होगी।

(पूर्व कुलपति,गोरखपुर विश्वविद्यालय, कानपुर विश्वविद्यालय
विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय)

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