जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार की सियासत में लालू यादव का कद काफी बढ़ा माना जाता है। अगर कहा जाये तो बिहार की राजनीति लालू और नीतीश के बगैर अधूरी मानी जायेगी।
दोनों ही नेता बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर करने का दम रखते हैं। लालू नीतीश अगर एक साथ आ जाये तो किसी भी सरकार को उखाड़ फेंकने का दम-खम रखते हैं।
हालांकि इस साल जनवरी में नीतीश कुमार ने लालू यादव का साथ छोड़ दिया और फिर पुराने दोस्त मोदी से फिर हाथ मिला लिया।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो नीतीश कुमार ने सियासी फायदे के लिए मोदी के साथ गए है ताकि लोकसभा चुनाव में उनकी सीट बढ़ सके लेकिन नीतीश कुमार को तेजस्वी यादव कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
ऐसे में नीतीश कुमार कितनी सीट जीतेंगे, इसको लेकर कोई कुछ नहीं कह रहा है। उधर लालू यादव को लोकसभा चुनाव के साथ-साथ अभी से विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है। लोकसभा चुनाव में साल 2019 की तुलना में अगर लालू यादव की आरजेडी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो तेजस्वी यादव एक बड़े राजनेता के तौर पर अपनी छाप छोड़ेंगे और इसका सीधा फायदा विधान सभा चुनाव में होगा।
इसी रणनीति के तहत लालू प्रसाद माई समीकरण में विस्तार कर कुशवाहा समेत मल्लाह और भूमिहारों को एक साथ लेकर नीतीश कुमार को चारों तरफ से घेर लिया है।
इतना ही नहीं लालू परिवार अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। लालू की बेटियां लगातार जनता के बीच जा रही है और उनका लक्ष्य लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव के लिए जनता को अपनी तरफ करना है।
लालू यादव ने खास रणनीति के तौर पर तेजस्वी यादव को अब आगे कर दिया है और तेजस्वी यादव अकेले ही मोदी सरकार के साथ-साथ नीतीश कुमार से भी मोर्चा ले रहे हैं।
तेजस्वी का साथ वीआईपी पार्टी के नेता मुकेश साहनी हर रैली में उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं। इतना तय माना जा रहा है कि अगर बिहार में तेजस्वी यादव सीएम बनते हैं तो मुकेश साहनी को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है और अगर इंडिया गठबंधन की केंद्र में सरकार बनती है तो वहां उनको कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।
लालू यादव जानते हैं कि पिछले चुनाव में वो थोड़े से मार्जिन से चूक गए थे लेकिन इस बार वो पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए कुशवाहा समाज को अपनी तरफ मोड़ने के लिए 8 टिकट कुशवाहा समाज के लोगों को टिकट दिया है।