जुबिली न्यूज डेस्क
भीमा कोरेगांव मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दे दी है. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली ज़मानत पर रोक को आगे नहीं बढ़ाएगा.
उन्हें साल 2018 में भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ़्तार किया गया था. ख़राब स्वास्थ्य के कारण पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें घर में नज़रबंद रहने की इजाज़त दी थी. इसके बाद दिसंबर में हाई कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी लेकिन एनआईए के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर अंतरिम रोक लगा दी थी. इस रोक को सुप्रीम कोर्ट ने आगे बढ़ाया था.
आज सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की शर्तों पर गौतम नवलखा को ज़मानत दी है. अब एनआईए सुप्रीम कोर्ट में अपील कर पाएगी. इसके अलावा कोर्ट ने नवलखा को 20 लाख रुपये का भुगतान करने का भी आदेश दिया है. यह पैसा घर में नज़रबंद रहने के एवज़ में उन्हें देना होगा.
हालांकि एनआईए का कहना है कि घर में नज़रबंद रखने के दौरान सुरक्षा पर 1.64 करोड़ रुपये ख़र्च हुए हैं.इससे पहले नवलखा ने घर में नज़रबंद रहने की एवज़ में 2.4 लाख रुपये जमा किए थे, लेकिन अब अदालत ने ज़मानत पर रिहा होने से पहले 20 लाख रुपये का भुगतान करने को कहा है.
गौतम नवलखा पर क्या आरोप है?
गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उनकी बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए नवंबर 2022 से घर में नजरबंद कर दिया गया है. दरअसल, नवलखा को अन्य लोगों के साथ पुणे पुलिस और बाद में एनआईए ने सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने और 1 जनवरी, 2018 को भीमा कोरेगांव स्मारक पर जातीय दंगे भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था.