जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर बड़ी खबर आ रही है। दरअसल इसको लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है। मोदी सरकार के इस फैसले के बाद भारतीय राजनीति में घमासान मच गया है।
ममता बनर्जी ने सीधे शब्दों में इसका विरोध जताया है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा है कि इससे अगर किसी समुदाय को कोई दिक्कत हुई तो विरोध प्रदर्शन करेंगी।
भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने बताया कि CAA की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और ईसाई अल्पसंख्यक जो दशकों से भारत में आए और देश में बस गए, वे पूर्व-संशोधित नागरिकता कानून के तहत भारतीय नागरिकता हासिल नहीं कर सकते थे। इसके चलते वो भारतीय नागरिकता के कई लाभों से वंचित थे। संशोधन के बाद उन्हें अनिश्चित जीवन नहीं जीना पडे़गा।
दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल और केरल ने इस कानून को लेकर अपना रूख साफ कर दिया है और कहा है कि अगर सीएए और एनआरी के जरिये किसी की नागरिकता छीनी जाती है, तो फिर किसी भी कीमत पर इसको लागू नहीं करने वाले हैं।
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि अगर नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के जरिये किसी की नागरिकता छीनी जाती है तो हम चुप नहीं बैठेंगे।
इसका कड़ा विरोध करेंगे। साथ ही, उन्होंने यह कहा कि ये बंगाल है, यहां हम सीएए को लागू नहीं होने देंगे। वहीं केरल के मुख्यमंत्री ने इसी तरह की बात कही है।
उनके अनुसार हमारी सरकार कई बार दोहरा चुकी है कि हम सीएए को यहां लागू नहीं होने देंगे। जो मुस्लिम लोगों को दोयम दर्जे का नागरिक मानता है। इस सांप्रदायिक कानून के विरोध में पूरा केरल एक साथ खड़ा हुआ नजर आएगा।
पहली बार सरकार ने नागरिकता संशोधन एक्ट को 2019 में पेश किया था। गौरतलब है कि नागरिकता संसोधन कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आने वाले गैर मुस्लिम शरणार्थियों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है, लेकिन केरल सहित राज्य राज्य इसके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। उनका कहना है कि यह कानून संविधान के खिलाफ है।