सैय्यद मोहम्मद अब्बास
लखनऊ। भारत ने इंग्लैंड को चौथे टेस्ट में करारी शिकस्त दी है। इस तरह से भारत ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज अपने नाम कर ली है और वो 3-1 से आगे चल रही है।
रांची की पिच बेहद खराब थी लेकिन इस विकेट पर यूपी के उभरते हुए सितारे ध्रुव जुरेल ने कमाल का प्रदर्शन किया है। उनकी बल्लेबाजी की हर कोई तारीफ कर रहा है। पहली पारी में उनके द्वारा बनाये गए 90 रन काफी अहम थे और दूसरी पारी में एकाएक जल्दी-जल्दी विकेट गिरने के बाद उन्होंने गिल का अच्छा साथ दिया और भारत को जीत दिलाने में अहम योगदान दिया।
ध्रुव जुरेल के इस शानदार प्रदर्शन पर पूरा यूपी गर्व कर रहा है। वहीं उनके पहले कोच परवेंद्र यादव काफी खुश है। स्प्रिंगडेल क्रिकेट एकेडमी के कोच परवेंद्र यादव ने एक खास बातचीत में बताया कि कैसे उन्होंने अपनी जिद की वजह से ध्रुव जुरेल को विकेटकीपर बल्लेबाज बना दिया। दरअसल ध्रुव जुरेल सिर्फ बैटिंग करना चाहते थे लेकिन उनके कोच की जिद के आगे उनकी एक नहीं चली और आज उनकी बल्लेबाजी के साथ-साथ विकेटकीपिंग की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। जुबिली पोस्ट ने उनके इस प्रदर्शन पर उनके कोच परवेंद्र यादव से खास बातचीत की है…पेश है कुछ मुख्य अंश…
सवाल- ध्रुव जुरेल कैसे आपके पास आए?
जवाब-बात उन दिनों की है जब ध्रुव जुरेल पढ़ाई कर रहे थे लेकिन उनका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था तब उन्होंने अपने पिता से कहा था कि वो क्रिकेट खेलना चाहते हैं। हालांकि उनके पिता इसके लिए तैयार नहीं थे लेकिन बेटे की जिद आगे पिता को हार मानना पड़ा और वो तैयार हो गए। आगरा में जहां पर रहते थे उसी के पास मेरा भी घर था। ऐसे में वो एक दिन मेरे घर पर आए और बोले इसको क्रिकेटर बनाना है। उस वक्त मैंने कहा था कि ठीक है रविवार को अकादमी आ जायेगा और ट्रायल के बाद दाखिल हो जायेगा लेकिन उनके पिता ने कहा नहीं…नहीं कल से ही ध्रुव जुरेल आपके पास क्रिकेट की ट्रेनिंग लेगा। अगर क्रिकेटर बन गया तो ठीक नहीं फौज में इसको डाल दंूगा। इस तरह से साल 2009-2010 में उसने मेरी अकादमी में दाखिला लेकर क्रिकेट की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी।
सवाल-विकेटकीपर बल्लेबाज बनाने का आइडिया किसका था?
जवाब-जब ध्रुव जुरेल मेरे पास आया था तब भी मैंने उसकी प्रतिभा को पहचान लिया था। मैंने उसे सलाह दी थी कि विकेटकीपिंग पर फोकस करें लेकिन वो बार-बार बोलता था नहीं सर मुझे तो बल्लेबाज बनना है। इतना ही नहीं उसने इसकी शिकायत अपने पिता से भी की थी। उसकी शिकायत पर उसके पिता भी भागते-भागते मेरे पास आए थे और बोले कि बेटे को बल्लेबाज बनायी न विकेटकीपिंग करायी। हालांकि मेरे समझाने पर वो मान गए और बोले जैसे कोच साहब कहे वैसा ही करो। इस तरह से मैंने उसे बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज तैयार करने का पूरा जोर लगा दिया।
सवाल-विकेटकीपिंग न करने को लेकर जब ध्रुव जुरेल हो गए थे आपसे नाराज?
जवाब– हालांकि ये बात सच है कि वो विकेटकीपिंग करना नहीं चाहते थे। इस वजह से वो मुझे नाराज भी रहता था लेकिन मैंने उसे भरोसा दिलाया था कि तुम एक दिन इंडिया को खेलोगे और वो बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज। हालांकि उसे उस वक्त समझ नहीं आई लेकिन जब राज सिंह डूंगरपुर ट्रॉफी के लिए टीम का चयन हो रहा था तब मैंने उसका नाम विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर डाल दिया था। हालांकि उस साल उसका चयन नहीं हो पाया था लेकिन स्टैंड बाई में उनका नाम शामिल था। सेमीफाइनल में यूपी की टीम पहुंच गई थी लेकिन विकेटकीपर चोटिल हो गया तो ध्रुव जुरेल को टीम में मौका दिया गया उसने सेमीफाइनल में मध्य प्रदेश के खिलाफ 137 रन बनाक अपने चयन को सही साबित कर दिया। इसके साथ यूपी टीम ने उस साल खिताब भी जीत लिया था।
सवाल- ध्रुव जुरेल के इस प्रदर्शन को आप कैसे देख रहे हैं?
जवाब– मुझे खुशी है वो इंडिया के लिए खेल रहा है। मैंने उनके पिता से कहा था कि देख लीजियेंगा आपका बेटा आईपीएल खेलेंगे और इसके बाद बहुत जल्द टीम इंडिया में चयन होगा। उनकी बात सच साबित हुई। मुझे भरोस एक दिन धोनी की तरह भारत की कप्तानी भी करेंगे।