जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय तटरक्षक की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से इनकार किए जाने पर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारतीय नौसेना को महिलाओं के साथ निष्पक्ष बर्ताव करने वाली एक नीति अवश्य लानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट महिला अधिकारी प्रियंका त्यागी की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। उन्होंने कोस्ट गार्ड में पात्र महिला अधिकारियों को पर्मानेंट कमीशन प्रदान करने का अनुरोध किया है।
आपके अंदर पुरुषों का वर्चस्व वाला रवैया क्यों है?
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि आप नारी शक्ति की बात करते हैं। अब यहां दिखाइए। आपको अवश्य ही एक ऐसी नीति लानी होगी जिसमें महिलाओं के साथ निष्पक्ष बर्ताव किया जाए। पीठ ने पूछा कि क्या केंद्र तीनों सशस्त्र बलों-थलसेना, वायुसेना और नौसेना-में महिलाओं को स्थायी कमीशन प्रदान करने के शीर्ष अदालत के फैसलों के बावजूद अब भी पितृसत्तात्मक(पुरुषों का वर्चस्व) रवैया अपना रही है।
महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का प्रावधान है?
पीठ ने कोस्ट गार्ड की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा कि आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हो रहे हैं? क्या आप तटरक्षक में महिलाओं का चेहरा नहीं देखना चाहते? पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता एकमात्र एसएससी महिला अधिकारी हैं जो स्थायी कमीशन चुन रही हैं, और सवाल किया कि उनके मामले पर विचार क्यों नहीं किया गया। न्यायालय ने कहा, ‘अब, तटरक्षक को अवश्य ही एक नीति लानी होगी।’ सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी पूछा कि क्या तटरक्षक में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का प्रावधान है?
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तटरक्षक उन्हें स्थायी कमीशन क्यों नहीं दे रहा
देश की सुप्रीम अदालत को यह बताया गयाा कि महिला अधिकारियों को 10 प्रतिशत स्थायी कमीशन दिया जा सकता है, पीठ ने पूछा, ‘10 प्रतिशत क्यों क्या महिलाएं कमतर इंसान हैं?’ न्यायालय ने पूछा कि जब भारतीय नौसेना में प्रावधान है तो तटरक्षक उन्हें स्थायी कमीशन क्यों नहीं दे रहा। उसने केंद्र से इस मुद्दे पर लैंगिक रूप से एक तटस्थ नीति लाने को कहा है।