जुबिली न्यूज डेस्क
दक्षिणी यूरोप में बसा एक देश है ग्रीस. यहां की संसद ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है जिसकी काफी चर्चाएं हैं. फैसला है सेम सेक्स मैरिज यानी समलैंगिक विवाह को लेकर. ग्रीस में अब सेम सेक्स मैरिज को कानूनी वैधता मिल गई है. ऐसा करने वाला वो पहला बहुसंख्यक रूढ़िवादी ईसाई देश बन गया. ऐसा कहा जाता है कि ग्रीस की अधिकतर जनसंख्या अंधविश्वासी है. पर संसद ने गुरुवार को समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला कानून पारित कर दिया.
इस दौरान वहां के प्रधानमंत्री ने इसे ग्रीस में मानवाधिकारों की एक ऐतिहासिक जीत बताया और कहा कि इस नए कानून से समाज में असमानता दूर होगी. ग्रीस में सेम सेक्स मैरिज को मान्यता मिलना इस लिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि जब संसद में इस पर बहस शुरू हुई तब यहां के शक्तिशाली ऑर्थोडॉक्स चर्च इसके विरोध में खड़ी थी. चर्च के समर्थकों ने ग्रीस की राजधानी एथेंस में एक विरोध रैली भी निकाली थी. कई लोग बैनर, क्रॉस और बाइबिल लेकर सड़कों पर उतर आए थे.
चर्च के विरोध के बाद भी बिल पास हुआ
ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख का कहना है कि यह कदम ग्रीस की सामाजिक एकता को बर्बाद करेगा. चर्च के कड़े विरोध के बावजूद संसद ने समलैंगिक जोड़ों के हक में फैसला सुनाया. ग्रीस की संसद में 300 सदस्य होते हैं. कानून पास होने के लिए साधारण बहुमत की जरूरत थी. पर बहुमत हासिल करना इतना भी आसान नहीं था. विधेयक को प्रधानमंत्री का समर्थन हासिल था लेकिन इसे पारित कराने के लिए विपक्षी दलों के समर्थन की जरूरत थी. पर सेंटर-राइट दल के दर्जनों सांसद इसके विरोध में थे.
LGBTQ+ ने फैसले का किया स्वागत
दो दिनों में 30 घंटे से ज्यादा बहस होने के बाद 300 सीटों वाली संसद में यह बिल पास हुआ. पक्ष में 176 और विपक्ष में 76 वोट पड़े. कुल 254 लोगों ने मतदान किया. केंद्र-वामपंथी और वामपंथी विपक्षी दलों के मजबूत समर्थन ने इसे कानूनी रूप से वैध बनाने में मदद की. देश के एलजीबीटीक्यू+ कम्यूनिटी ने इस फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि इससे कई लोगों का जीवन बहुत आसान हो जाएगा, खासकर उन बच्चों का जो अनिश्चितता में जी रहे हैं.
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किन देशों में समलैंगिक विवाह मान्य है
समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला पहला देश है नीदरलैंड्स. वहां अप्रैल, 2001 से ही सेम-सेक्स मैरिज लीगल है. हालांकि डेनमार्क ने 1989 में ही समलैंगिक जोड़ों को डोमेस्टिक पार्टनर्स के तौर पर रजिस्टर करने की परमिशन दे दी थी. लेकिन कोई औपचारिक कानून नहीं बनाया था. 2012 में जाकर डेनमार्क ने इसे कानून बनाया. इसके अलावा बेल्जियम, कनाडा, स्पेन, साउथ अफ़्रीका, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड, पुर्तगाल, अर्जेंटीना, ब्राज़ील, इंग्लैंड, वेल्स, कोस्टा रिका, ताइवान, जैसे देश शामिल हैं.