Saturday - 26 October 2024 - 7:31 PM

जेडीयू में नया नहीं है अचानक विदाई का रिवाज

जुबिली न्यूज डेस्क

पटनाः लोकसभा चुनाव से पहले जेडीयू में बड़ा बदलाव हुआ। राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को औपचारिक रूप से जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। दो दशक से अधिक समय में जेडीयू के चार राष्ट्रीय अध्यक्षों को इसी तरह से पद छोडना पड़ा। पद छोड़ने वालों में जेडीयू के संस्थापक अध्यक्ष जॉर्ज फर्नांडिस पहले व्यक्ति थे। वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से हटने वाले ललन सिंह चौथे शख्स हैं।

वरिष्ठ पत्रकार महेश कुमार सिन्हा का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार को यह फैसला लेना पड़ा। जेडीयू को बचाने और अपने संगठनात्मक आधार को बढ़ाने के लिए नीतीश कुमार को ललन सिंह को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाना पड़ा। इससे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी 2003 से अप्रैल 2006 तक जॉर्ज फर्नांडिस ने संभाला था।

जेडीयू के सबसे पहले अध्यक्ष जार्ज फर्नांडिस को अप्रैल 2006 में अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा। पार्टी के संगठनात्मक चुनाव में वे शरद के मुकाबले पराजित हो गए। उन्हें अध्यक्ष पद से हटा कर शरद यादव को जेडीयू का अध्यक्ष बनाया गया। शरद यादव भी दो बार जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे, लेकिन उनकी भी इसी तरह से विदाई हुई।

दरअसल 2004 के लोकसभा चुनाव में एनडीए केंद्र में सत्ता से बाहर हो गई। जॉर्ज-शरद सिर्फ सांसद बनकर रह गए। लेकिन जॉर्ज तब भी एनडीए के संयोजक बने हुए थे। इसी दौरान 2005 में बिहार विधानसभा का चुनाव हो रहा था, तो भागलपुर की एक रैली में अटल बिहारी वाजपेयी ने नीतीश कुमार की खूब तारीफ की। लेकिन वे उन्हें सीएम कैंडिडेट बताने से चूक गए। बाद में नीतीश कुमार ने अरूण जेटली की मदद से तस्वीर साफ करवाई, लेकिन जॉर्ज ने उस पर मुहर लगाने से इनकार कर दिया। माना जाता है कि दोनों के बीच यहीं से मनमुटाव का सिलसिला शुरू हो गया। 2005 में नीतीश कुमार बीजेपी के सहयोग से सीएम बने तो जेडीयू का पावर सेंटर उनकी तरफ केंद्रित होने लगा।

2009 तक दोनों के बीच खटास चौड़ी हो गई। 2009 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने जॉर्ज फर्नांडीस का टिकट ही काट दिया। उनकी जगह जयप्रकाश निषाद को मुजफ्फरपुर से टिकट दिया गया। जॉर्ज निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिली। इस मौके को भुनाते हुए नीतीश ने उन्हें जेडीयू से बाहर का रास्ता दिखा दिया।

2016-17 में शरद यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा कर नीतीश कुमार खुद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। कहा जाता है कि जब शारद यादव ने जेडीयू के एनडीए में शामिल का विरोध किया था। इस कारण से नीतीश कुमार और उनके बीच मतभेद उत्पन्न हो गया था। महीनों तक वे मुख्यमंत्री के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने के बाद अचानक आरसीपी सिंह को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई।

नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को पार्टी अध्यक्ष बनाने के साथ ही 2020 में मोदी मंत्रिमंडल विस्तार के वक्त बातचीत की जिम्मेदारी सौंपी। तब नीतीश कुमार ने जेडीयू अध्यक्ष रहने के कारण उन्हें कैबिनेट में अधिक सीटें मांगने की जिम्मेदारी सौंपी। लेकिन आरसीपी ने खुद को ही मंत्री बनवा लिया। इससे नीतीश कुमार नाराज हो गए।

दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। जुलाई 2021 में उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने के बाद ललन सिंह को यह पद सौंपा गया। जिसके बाद 21 जुलाई 2021 तक अब तक तक ललन सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और अब उनकी जगह नीतीश कुमार खुद अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालेंगे। इस तरह से अब नीतीश कुमार ने तीसरी बार जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान संभाल ली।

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